गुरुवार, 11 अप्रैल 2024

मऊ :ईद की नमाज में भारी संख्या मे लोगो ने पढ़ी ईदगाह मे नमाज।||Mau:A large number of people offered namaz in Idgah on Eid.||

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मऊ :
ईद की नमाज में भारी संख्या मे लोगो ने पढ़ी ईदगाह मे नमाज।
दो टूक : ऐसी इबादत अल्लाह को मंजूर नहीं जिससे लोगो को कष्ट पहुंचे:मुफ्ती अनवर अली।
◆मतदान करना मात्र राजनैतिक नही ये एक धार्मिक कृत भी है–इमाम ईदगाह।
 30 वे रमजान के समापंन के बाद जैसे ही चाद का दीदार हुआ लोगो मे खुशिया हिलोरे लेने लगी और लोग रात भर ईद की खरीदारी मे  मशगूल हो गये। गुरुवार को नगर में 53 स्थानों पर भारी संख्या मे लोगो ने ईद की नमाज अदा की।
विस्तार:
 मोहल्ला छितनपुरा ईदगाह में सबसे अधिक लोगों ने ईद की नमाज अदा की। ईद की नमाज मदरसा दारूल ओलुम के प्रबंधक हाफिज अहमद जकी साहब ने पढ़ाई। नमाज से पूर्व मुफ्तिये शहर मुफ्ती अनवर अली ने नमाजियों को संबोधित करते हुए कहा के ये चिंता का विषय है के इजराइल फलस्तीनियों पर और रूस यूक्रेन पर लगातार बमबारी कर रहे है। बेकसूर लोगों, बच्चो और महिलाओं की जान जा रही है, मगर दुनिया शांति से तमाशा देख रही है। उन्होंने कहा के फलस्तीन में लोग भूख से मर रहे है। मुफ्ती साहब ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कहा के चुनाव केवल सामाजिक या राजनैतिक पर्व नही है, बल्कि ये एक धार्मिक जिम्मेदारी है, इसलिए सब लोगो को अपने मत का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा के आपको दुआ करनी चाहिए के ऐसी होकुमत बने जो देश के 140 करोड़ लोगो की भावनाओं का ध्यान रखे और सबकी चिंता करे। मुफ्ती साहब ने कहा के ये देश हमारा है, हमारे पूर्वजों ने इसके लिए जान की कुरबानी दी है। हम इस मुल्क में किराएदार नही है हिस्सेदार है। हमारी जिम्मेदारी है के देश की तरक्की, खुशहाली और शांति में सहयोग करे। मुफ्ती साहब ने नमाजियों से कहा के कही भी ऐसी जगह नमाज न पढ़े जिससे लोगो को आने जाने में दिक्कत हो। ऐसी इबादत अल्लाह को मंजूर नहीं जिससे किसी को कष्ट पहुंचे।
ईद की नमाज के एक घंटा पूर्व से पुलिस ने नमाजियों की सुरक्षा के लिए घेरा बना रखा था। पुलिस के आला अधिकारियों के साथ मजिस्ट्रेट की भी ड्यूटी लगी थी।
नमाज खत्म होने के बाद इमाम अहमद जकी साहब ने दुआ करते हुए अल्लाह से मांग किया के मऊ के कारोबार के हालात को बेहतर बनाए,: देश तरक्की के रास्ते पर चले, फलस्तीन के लोगो को इंसाफ मिले, देश से गरीबी दूर हो, मुसलमानो को इंसाफ मिले। ईदगाह और ईदगाह का सहन जब भर गया तो सकड़ों लोग वापस दूसरी ईदगाहों पर गए।