अम्बेडकर नगर:
जुआ खेलने और गुटखा खाने को इंस्पायर करने वाले सभी विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए: रमाकांत पांडे
ए के चतुर्वेदी।
दो टूक: सिर्फ़ चंद पैसे के लालच के लिए फ़िल्म अभिनेता और युवाओं के रॉल मॉडल क्रिकेटर्स जनता से ज़हरीला ग़ुटखा खाने को और जुआ खेलने क़ो विज्ञापनों के माध्यम से प्रेरित कर रहें हैं। क्या ऐसा करना देशहित में सही हैं इस सन्दर्भ में वरिष्ठ पत्रकार रमाकांत पांडे ने राष्ट्रहित में अपनी राय रखते हुए बताया कि यक़ीन नहीं होता कि सिर्फ़ चंद पैसे के लालच के लिए एक्टर्स और युवाओं के रॉल मॉडल क्रिकेटर्स भारत की जनता से ज़हरीला ग़ुटखा खाने को और जुआ खेलने क़ो विज्ञापनों के माध्यम से प्रेरित कर रहें हैं। क्या ऐसा करना देशहित में सही हैं ? लेकिन एक बात आप ध्यान से समझ लीजिए कि इन्होने तो मोटा पैसा कमा लिया हैं। अगर आप को इन सब जीवन बर्बाद करने वाली चीजों की लत गयी ना, तो आप ना घर के रहेंगे ना घाट के, अगर इनके विज्ञापनों के बहकाबे में आप आ गये ना तो इस देश में आज के बाद कोई भी बड़ा क्रिकेटर नहीं बन पायेगा।उन्होंने आगे कहा कि आज हम एक ऐसे समय से गुजर रहे हैं, जहां युवाओं के रोल मॉडल ही उन्हें गुटखा खाने को इंस्पायर कर रहे हैं या जुआ खेलने को श्रेष्ठ बता रहे हैं, इन लोगों की मानसिकता का आलम ये है कि खुद तो दूध में चीनी तक डालकर नहीं पीते लेकिन देश के भविष्य को निठल्ला बनाने के प्रयास के साथ - साथ, चंद पैसे के लालच के लिए देश का युवा को बर्बाद कर रहे हैंइन लालची और सामाजिक पाखंड के विशेषज्ञ लोगों को समाज, पारिवारिक संस्कार व देश की संस्कृति से कोई मतलब नहीं हैं। यह लालची लोग हमारी आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं। समाज के लिए इनके द्वारा किया गया यह कृत्य बहुत ही गलत है इसलिए हमारी सभी से विनम्र अपील हैं कि जुआ खेलने को और गुटखा खाने को इंस्पायर करने वाले सभी विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए और इस मामले में हर परिवारीजन से आग्रह है कि इस विसंगति के कार्यों पर नजर रखें और परिवार व युवा पीढ़ी को बचायें।