अम्बेडकर नगर:
प्राइवेट स्कूलों में री एडमिशन के नाम पर अभिभावकों से अवैध वसूली,प्रशासन मौन।।
ए के चतुर्वेदी।
अम्बेडकर नगर जिले में नई शिक्षा नीति का घोर उलंघन होता हुआ नजर आया जनहित में स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है लेकिन संचालित प्राइवेट स्कूल संचालकों ने शिक्षा के मंदिर को शुद्ध व्यापार का रुप दे दिया है जहां पर स्कूल संचालकों ने शिक्षा को बेचने के साथ साथ कापी–किताबें, यूनिफार्म,जूता,मोजे आदि बेचने की दुकान खोल ली है। इसको सही भाषा में कहा जाये तो स्कूल को शोषण के केन्द्र बन गए हैं।
ऐसा ही एक मामला अम्बेडकर नगर जनपद के डॉ अशोक कुमार स्मारक इंटर कॉलेज से सामने आया है। जहां पर स्कूल प्रबंधन द्वारा री एडमिशन के नाम पर अभिभावकों से अवैध फीस वसूला जा रहा है, जबकि बच्चों की पढ़ाई लगातार उसी स्कूल में हो रही है तो फिर परीक्षा के बाद अगली कक्षा में प्रवेश लेने पर री एडमिशन के नाम पर अभिवावकों से मोटी रकम वसूली का क्या औचित्य है।
कुछ अभिवावकों के द्वारा विरोध करने पर स्कूल प्रबंधन द्वारा उन्हें बच्चें को हटाने की धमकी दी जाती है।
यही नहीं बच्चों को विद्यालय से ही किताबें भी मुहैया करवाई जाती है,जबकि कापी किताबों पर तीस से चालीस प्रतिशत डिस्काउंट मिलना चाहिए। लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। अभिवावकों नें डॉ० अशोक कुमार स्मारक इंटर कॉलेज के संचालक पर मनमानी करने का आरोप लगाया है।इसके अलावा स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रकाशकों की किताबों की जगह पर कमीशन खोरी के चक्कर में प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें दी हैं।जबकि शिक्षा विभाग के नियम के अनुसार सभी स्कूलों में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रकाशकों की ही किताबें होनी चाहिए। इसको लेकर अभिवावकों नें हमें बताया कि हमें मजबूर किया जाता है कापी किताबें खरीदने के लिए। साथ ही कहा कि स्कूल प्रबंधन मनमाफिक दाम वसूल रहे हैं हम लोगों से। आपको यहां बता दें कि पहले एडमिशन के नाम पर भारी भरकम रकम वसूलते और दाखिले के बाद कापी किताबों के नाम पर लोगों को चूना लगा रहे हैं।प्राइवेट स्कूल संचालकों का आज के दौर में एक ही उद्देश्य बन गया है कि लूट लो जितना लूटना है। उन्हें पता है कि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। क्योंकि हमारे जिले का सिस्टम बेचारा गुलाबी रंग को देखकर रहम दिल हो जाता है। जानकर भी कोई कार्रवाई नहीं करता। शिक्षा विभाग के नियमों की प्राइवेट स्कूल संचालक धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। कानून को ठेंगा दिखा कर अपनी दुकानें सजाकर बच्चों के अभिभावकों की जेबों में डाका डाल रहे हैं। चंद पन्नों की कापी किताबों को सैकड़ों रुपयों में बच्चों को दी जा रही हैं। अब आगे देखने वाली बात होगी कि अम्बेडकरनगर जिले का शिक्षा विभाग इस तरह के गोरखधंधा करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है।