बुधवार, 22 मई 2024

लखनऊ :फर्जी CBI अफिसर गिरफ्तार,30.50 लाख की थी साइबर ठगी।।||Lucknow: Fake CBI officer arrested, cyber fraud of Rs 30.50 lakh.||

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लखनऊ :
फर्जी CBI अफिसर गिरफ्तार,30.50 लाख की थी साइबर ठगी।।
दो टूक : लखनऊ के साइबर थाना टीम ने फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल हाउस अरेस्ट कर पीड़ित के साथ 30.50 लाख की धोखाधड़ी करने वाले दो शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार कर आवश्यक विधिक कार्यवाही करते हुए जेल भेज दिया।
विस्तार :
डीसीपी मध्य जोन ने जानकारी देते हुए बताया 
 निरंजन सिंह ने 25 /2/2024 को थाना साइबर पर सूचना दी कि उनके पास एक अज्ञात कॉल आई अज्ञात व्यक्ति ने अपने आपको कस्टम अधिकारी बताते हुए कहा कि आपके नाम पर कंबोडिया से जो पार्सल बुक है उसमें कुछ ज़ाली पासपोर्ट एटीएम कार्ड पाया गया है एवं वादी के विरुद्ध मनी लॉनड्रिंग का केस हो गया है फिर उस व्यक्ति द्वारा कॉल को एक अन्य व्यक्ति को यह बताकर ट्रांसफर किया गया कि CBI एवं NIA के अधिकारी आपसे बात करेंगे फिर उस व्यक्ति ने जोकि अपने आपको CBI अधिकारी बता रहा था उसने वादी को डराया धमकाया व डिजिटल हाउस अरेस्ट कर फर्जी अरेस्ट वारंट व मा० न्यायलय का फर्जी सीजर आर्डर भेजकर वादी के साथ 30.50 लाख रूपये की ठगी कर ली गयी। जिस पर थाना गाजीपुर में अपराध संख्या- 97/2024 धारा 406/420 IPC व 66D आई०टी० एक्ट पंजीकृत हुआ, जिसके पश्चात उपरोक्त विवेचना साइबर क्राइम लखनऊ को स्थानांतरित कर दी गयी। उक्त अभियोग के अनावरण हेतु श्रीमान् पुलिस आयुक्त लखनऊ, श्रीमान् संयुक्त पुलिस उपायुक्त के निर्देशन में श्रीमान् पुलिस उपायुक्त (पूर्वी), श्रीमान् अपर पुलिस उपायुक्त (पूर्वी), श्रीमान् सहायक पुलिस आयुक्त (पूर्वी) महोदय के कुशल पर्यवेक्षण में साइबर क्राइम थाना लखनऊ पर प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में अभियुक्तो की गिरफ़्तारी एवं घटना के खुलासे हेतु टीम गठित की गयी ।
■ प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में उनकी टीम द्वारा उच्च अधिकारीगण के निर्देशन पर सूचना तंत्र सक्रिय कर तकनीकी संसाधनों का प्रयोग कर अभियुक्त को जनपद आगरा से दिनाँक 21.05.2024 को गिरफ्तार कर थाना साइबर क्राइम लखनऊ में दाखिल किया गया।
अपराध करने का तरीकाः इस साइबर अपराध पद्धति साइबर अपराधी कोरियर पैकेट में मिले सिम, इंक्स, आधार कार्ड का दुरुपयोग करके, मनी लॉन्ड्रिंग, MDMA, टेररिस्ट कन्वर्जन में नागरिकों का मोबाइल नंबर व अन्य पहचान आदि का इस्तेमाल होना बताकर गिरफ्तारी का डर दिखाकर अपराध करते हैं। साइबर अपराधी खुद को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई जैसे कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत करते हैं और उन्हें यह विश्वास दिलाने में हेरफेर करते हैं कि उन्होंने कुछ गंभीर अपराध किया है। कुछ मामलों में, पीड़ितों को "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" किया जाता है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, उन्हें अपराधियों के सामने स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफार्मों पर दिखाई देने के लिए मजबूर किया जाता है। साइबर जालसाज पीड़ित को यह विश्वास दिलाने में धोखा देते हैं कि उसे 'डिजिटल गिरफ्तारी' के तहत रखा गया है और यदि वे घोटालेबाजों को बड़ी रकम का भुगतान नहीं करते हैं तो उन पर मुकदमा चलाया जाएगा। साइबर अपराधी अक्सर भोले-भाले पीड़ितों को यह विश्वास दिलाकर कि उन्हें 'डिजिटल गिरफ्तारी' में डाल दिया गया है और जब तक वे पैसे नहीं चुका देते, वे घर से बाहर नहीं निकल सकते, उन्हें आत्म- गिरफ्तार करने या स्वयं को एकांतवास में रखने के लिए मजबूर करते हैं। इसके बाद ठगों द्वारा पुलिस स्टेशन जैसे सेटअप दिखाकर वीडियो कॉल करके डराया जाता हैं। पूछताछ के नाम पर वेबकैम, स्काइप मोबाइल से वीडियो कॉल पर डरा धमकाकर उनसे मोटी रकम की ठगी की जाती है।
■ इस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि
गिरफ्तार किए गए शातिर साइबर जालसाजो ने पूछताछ मे अपना नाम राजीव भसीन अपने साथी मोहित चोपड़ा उर्फ़ नानू के साथ मिलकर फर्जी फर्मों के नाम पर करेन्ट अकाउन्ट खुलवाकर विदेश में बैठे फ्रॉडस्टर को अकाउन्ट के क्रेडेन्शियल व्हाट्सअप तथा टेलीग्राम पर भेज दिया करता था। धोखाधड़ी की ट्रांजैक्शन इन खातों पर होती थी तथा ट्रांजैक्शन की OTP विदेश में बैठे फ्रॉडस्टर को भेजने के लिये एक "AtOtp Forwarder एप" का इस्तेमाल करते थे। इस एप के माध्यम से OTP विदेश में इन्टरनेट के माध्यम से चला जाता था। विदेश में बैठे फ्रॉडस्टर द्वारा सम्पूर्ण ट्रांजैक्शन का 1.8 प्रतिशत राजीव भसीन व उसके साथी मोहित चोपड़ा उर्फ़ नानू को USDT के रूप में भेज दिया जाता था। यह लोग अपने साथियों के साथ विदेशी फ्रॉडस्टरों से सीधे जुडे हुए थे। फ्रॉडस्टर इनका हिस्सा इनके बताये हुए खाते में ट्रांसफर करते थे तथा पीडितों से धोखाधड़ी कर अर्जित किये गये पैसे को इनके साथी विदेश भेजते थे। इस घटना में राजीव भसीन व मोहित चोपड़ा द्वारा श्री साईं राम टेंट हाउस नामक फर्जी फर्म बनाकर करेन्ट अकाउन्ट इंडसइंड बैंक में खुलवाकर वादी मुकदमा के पैसे धोखाधड़ी से हड़पे थे। साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर इस खाते से सम्बन्धित डाटा लिया गया तो ज्ञात हुआ कि इस अकाउन्ट में "देश के कुल 39 घटनाओं के 1.68 करोड रुपये का ट्रांजैक्शन" हुआ है जिसमे उत्तर प्रदेश से 01, आन्ध्र प्रदेश से 06, हरियाणा से 02, महाराष्ट्र से 02, राजस्थान से 03, तेलंगाना से 06, असम से 02, बिहार से 01, गुजरात से 03, केरल से 03, कर्नाटक से 03, मध्य प्रदेश से 02, पश्चिम बंगाल से 01 अपराध पंजीकृत है। दिनांक 21.05.2024 को राजीव भसीन व उसके साथी मोहित चोपड़ा उर्फ नानू को धोखाधड़ी के सामान के साथ गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार साइबर जालसाजो का विवरण-
◆राजीव भसीन उर्फ राजू पुत्र स्व० श्री श्याम भसीन निवासी E-606, अपर्णा प्रेम अपार्टमेंट, शास्त्रीपुरम, थाना सिकन्दरा, जनपद आगरा, उत्तर प्रदेश ।।
◆मोहित चोपड़ा उर्फ़ नानू पुत्र श्री शिव कुमार चोपड़ा निवासी मकान सं0-21, शांता कुञ्ज, थाना कमला नगर, बेलनगंज, जनपद आगरा, उत्तर प्रदेश उम्र लगभग 36 वर्ष
■आपराधिक इतिहास (मोहित चोपड़ा उर्फ़ नानू उपरोक्त):-
1. मु0अ0सं0-266/2021 धारा 8/20 NDPS एक्ट थाना शाहगंज, कमिश्नरेट आगरा |
2. मु0अ0सं0-268/2021 धारा जुआ अधिनियम थाना शाहगंज, कमिश्नरेट आगरा |
◆इनसे बरामदगी का विवरण-
• मुकदमा उपरोक्त में प्रयुक्त इंडसइंड बैंक से सम्बन्धित चेक बुक व एटीएम कार्ड |
• मुकदमा उपरोक्त में प्रयुक्त इंडसइंड बैंक के खाते में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की सिम |
• इंडसइंड बैंक, पीएनबी बैंक तथा यूनियन बैंक के एटीएम कार्ड तथा उनमे रजिस्टर्ड मोबाइल की सिम
• 10 अदद विभिन्न कंपनी के सिम कार्ड |
• 03 अदद आधार कार्ड, 01 अदद पैन कार्ड, 01 अदद ड्राइविंग लाइसेंस आदि |
• 03 अदद मोबाइल फ़ोन |
■ गिरफ्तारी करने वाली टीम -
प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव, साइबर क्राइम थाना लखनऊ।
2. उ0नि0 प्रशांत रघुवंशी।
3. का0 विवेक यादव,4. का0 धनीश यादव, 5. का0 रवि चौधरी, 6. का0 संजय कसौधन।।