गोण्डा :
गौ-वंशो को कैद करके उन्हें मृत्यु के नजदीक ले जाती है आश्रय केंद्रों की अब्यवस्था।
प्रदीप शुक्ला।
दो टूक : गोंडा जनपद के मुजेहना विकास खण्ड के ग्राम पंचायत त्रिलोकपुर में स्थित गौ आश्रय केंद्र की बदइंतजामी का आलम ये है की भूख और प्यास से करीब 39 मवेशी भीषण गर्मी में काला पानी जैसी सजा काट रहे हैं।
आश्रय केंद्र में कैद मवेशियों को सूखा भूसा खिलाया जाता है जो बिना पानी के भीषण गर्मी में हलक से उतरना मुश्किल हो जाता है, यही कारण है की लाखों रूपये महीने की खर्च के बावजूद केंद्र में रह रहे मवेशियों की चमड़ी उनकी हड्डियों में चिपकी दिखाई देती है। आश्रय केंद्र में रहने वाले मवेशियों से बेहतर उनकी हालत है जो खुले में घूम रहे है। इसलिए कहना गलत नही होगा की सरकारी धन की खर्च के बाद भी आश्रय केंद्र मवेशियों की कब्रगाह बनती जा रही है। इन आश्रय केंद्रों की ब्यवस्था में सुधार न आना पूरे सिस्टम व जिला प्रशासन की नाकामी कही जा सकती है जिसमे जिला अधिकारी से लेकर मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ग्राम प्रधान सिकरेटरी खण्ड विकास अधिकारी जैसे महानतम लोगों की महती भूमिका होती है।
*भीषण गर्मी में बदइंतजामी की मार झेल रहे बेजुबान मवेशी*
आश्रय केंद्र की देखभाल में काम कर रहे एक मजदूर से बात की गयी तो उसने बताया की नाद पूरी तरह टूट चुकी है जिसमे पानी की एक भी बूँद नही टिकती इसलिए मवेशियों को सूख भूसा खिलाना पड़ता है। मरम्मत के लिए कई बार ग्राम प्रधान व खण्ड विकास अधिकारी से कहा गया लेकिन कई महीनो बाद भी किसी ने सुधि नही ली, भूसा पर्याप्त है कम संसाधनो में जितना देख भाल हो पाता है किया जाता है पशुओं के लिए कोई पौष्टिक आहार की ब्यवस्था नही है।
एक बहुत ही कमजोर गाय जो कड़ी धूप में पड़ी हांफ रही थी उसके बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया की कई दिनों से बीमार पड़ी है। तीन दिन पहले डॉक्टर आये थे देख कर चले गए तब से कोई नही आया।
अब्यवस्थाओ पर खण्ड विकास अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद ने कहा की कमियां ठीक कराई जायेगीं, अब्यवस्था सुब्यवस्था में कब तब्दील होगी इसका अनुमान नही लगाया जा सकता है। यही हाल पूरे नेवल पहड़वा में भी देखना को मिला, अमूमन सभी आश्रय केन्द्रो का यही हाल है। जिस पर ना तो कोई बड़ी कार्यवाही देखने को मिलती है और न ही ब्यवस्थाओं को सुधारने में कोई रूचि लेता दिख रहा है।