शनिवार, 11 मई 2024

लखनऊ :इग्नू ने आयोजित किया भारतीय ज्ञान परंपरा पर वेबिनार,विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने किया प्रतिभाग।||Lucknow: IGNOU organized a webinar on Indian knowledge tradition, students and teachers participated.||

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लखनऊ :
इग्नू ने आयोजित किया भारतीय ज्ञान परंपरा पर वेबिनार,विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने किया प्रतिभाग।।
दो टूक : इग्नू के क्षेत्रीय कार्यालय वृन्दावन लखनऊ के द्वारा शुक्रवार को भारतीय ज्ञान परंपरा पर वेबिनार का आयोजन किया जिसमे आंनलाईन शिक्षक एवं लगभग सैकड़ों विद्यार्थी ने प्रतिभा किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, बिहार के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने विचार ब्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा वह अनमोल धरोहर है जो हमें हमारे पूर्वजों की संवेदनशीलता, समृद्धि और ज्ञान के साथ जोड़ती है। यह विश्व की सबसे प्राचीन और उन्नत संस्कृतियों में से एक है, जिसने समय के साथ निरंतर अपना विकास किया है।
विस्तार:
शुक्रवार को इग्नू के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के द्वारा आयोजित वेबिनार मे इग्नू अध्ययन केन्द्र जयनारायण पी.जी. कालेज, लखनऊ तथा इग्नू अध्ययन केन्द्र स्वामी शुकदेवानन्द कालेज, शाहजहाँपुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘भारतीय ज्ञान परम्परा’ विषयक वेबिनार में उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर इग्नू क्षेत्रीय केंद्र, लखनऊ की और से डॉ. मनोरमा सिंह, वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. अनिल कुमार मिश्रा, एडिशनल डायरेक्टर, डॉ. रीना कुमारी, सहायक क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. निशिथ नागर, सहायक कुलसचिव एवं इग्नू अध्ययन केंद्रों के समन्वयक डॉ. पर्वत सिंह, डॉ. योगेश पांडेय, डॉ. हिमांशु शेखर सिंह, डॉ. नीलांशु अग्रवाल, डॉ. विवेक सिंह एवं डॉ. प्रभात शुक्ला उपस्थित रहे।
इस वेबिनार में लगभग 200 विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
बतौर मुख्य वक्ता प्रो. हरिकेश ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का आधार प्राचीन समय से ही वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में रखा गया था। वेदों में ग्रंथों का आधार रखने वाले ऋषियों की धारणा, तत्त्वज्ञान, ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान की अद्वितीय प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। उपनिषदों ने मनुष्य की असीम शक्तियों और उसके आत्मा के गहरे पहलुओं को छूने का प्रयास किया। पुराणों में धार्मिक और  सांस्कृतिक महत्वपूर्ण कथाएं चरित्र, और उपदेश होते हैं, जो आज भी हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। प्रो. हरिकेश ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की एक अद्वितीय विशेषता उसकी प्राचीनता और अद्वितीयता है। यह ज्ञान परंपरा न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में आदर्श मानी जाती है। आज के समय में भी, इस ज्ञान परंपरा का बहुत महत्व है और हमें इसके प्रति समर्पित रहना चाहिए। भारतीय ज्ञान परंपरा हमें हमारे धरोहर की मूल्यवान समृद्धि का अनुभव कराती है और हमें एक अध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
■ इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, लखनऊ की वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक, कार्यक्रम की संरक्षक डाॅ मनोरमा सिंह ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के अध्ययन से प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के ज्ञान के विकास के इतिहास का ज्ञान मिलता है। इसमें वेदों से लेकर आधुनिक काल के धार्मिक और सामाजिक बदलावों तक का सफर शामिल है। डाॅ सिंह ने कहा कि इग्नू विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा से सम्बन्धित विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं जिनमें वैदिक अध्ययन, हिन्दी व्यवसायिक लेखन, हिन्दू अध्ययन, संस्कृत, ज्योतिष में स्नातकोत्तर, भारतीय कालगणना, वैदिक गणित में प्रमाण-पत्र, संस्कृत साहित्य में विज्ञान में पी.जी. डिप्लोमा आदि शामिल हैं यह पाठ्यक्रम युवाओं भारतीय संस्कृति सम्बन्धित ज्ञान संवर्धन एवं रोजगार प्रदान करने में सहायक प्रदान करने में सहायक है।
◆इग्नू अध्ययन केन्द्र, शाहजहाँपुर के समन्वयक डाॅ0 प्रभात शुक्ला ने कहा कि भारत में ज्ञान की एक अनवरत् परम्परा रही है तथा शिक्षा को जीवन का अनिवार्य अंग माना जाता रहा है। भारतीय ज्ञान परंपरा का एक महत्वपूर्ण पहलू उसकी विद्या प्रणाली है। भारतीय शिक्षा पद्धति गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित है। भारतीय शिक्षा प्रणाली न केवल विद्यार्थियों को शैक्षिक ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि उन्हें धार्मिक, नैतिक, और सामाजिक मूल्यों की भी शिक्षा देती है। इस सम्बन्ध में इग्नू द्वारा संचालित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के ज्ञान के विकास में निश्चित ही वृद्धिकारी व उपयोगी हैं।
◆इग्नू अध्ययन केन्द्र श्री जयनारायण पी.जी. कालेज, लखनऊ के समन्वयक डाॅ विवेक सिंह ने कहा कि आधुनिक युग में भी, भारतीय ज्ञान परंपरा का अत्यधिक महत्व है। इसे बचाकर रखने के लिए हमें अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति समर्पित रहना चाहिए। भारतीय ज्ञान परंपरा हमारी राष्ट्रीय और वैश्विक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें इसे संजीवनी रूप में संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
वेबिनार का संयोजन एवं संचालन इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र लखनऊ की सहायक क्षेत्रीय निदेशक डाॅ0 रीना कुमारी ने किया तथा अन्त में सभी का आधार एडिशनल डायरेक्टर डाॅ अनिल कुमार मिश्रा ने व्यक्त किया। अन्त में श्रोताओं की भारतीय ज्ञान परम्परा विषयक जिज्ञासाओं का समाधान भी मुख्य वक्ता प्रो. हरिकेश सिंह जी द्वारा किया गया।