अम्बेडकर नगर:
STF ने दो कछुआ तस्करों को किया गिरफ्तार भारी संख्या मे कछुए बरामद।।
दो टूक : एस०टी०एफ० टीम ने अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर कछुए की तस्कर करने वाले गिरोह के दो तस्करों को 191 कछुओं सहित गोरखपुर जनपद के थाना एम्स क्षेत्र से गिरफ्तार कर स्थानीय थाने मे दाखिल किया।
विस्तार:
दीपक कुमार सिंह, पुलिस उपाधीक्षक, एसटीएफ के मुताबिक प्रतिबंधित प्रजाति के कछुओं की तस्करी करने वाले अन्तर्राज्यीय तस्करों के सक्रिय होने की सूचनाएं प्राप्त हो रहीं थी। इस सम्बन्ध में एस०टी०एफ० उप निरीक्षक हरीश सिंह चौहान के नेतृत्व में एस०टी०एफ० टीम जनपद गोरखपुर में भ्रमणशील थी। इस दौरान ज्ञात हुआ कि बिहार राज्य के कुछ तस्कर भारी मात्रा में कछुओं की तस्करी हेतु जनपद-गोरखपुर व आस-पास के क्षेत्रों में स्थानीय तस्करों के साथ मिलकर उनके कछुए लेकर बिहार व पश्चिम बंगाल जाने वाले है। इस सूचना को विकसित करते हुए वन विभाग की टीम को साथ लेकर संयुक्त कार्यवाही करते हुए दोनों तस्करों को गोरखपुर एयरपोर्ट के पास थाना एम्स, जनपद गोरखपुर समय लगभग बीते गुरुवार की रात्रि 01:00 बजे गिरफ्तार कर लिया गया, जिनके पास लगभग दो सैकड़ा प्रतिबंध कछुआ बरामद हुआ।
पूछताछ मे तस्वीरों ने अपना नाम नीरज दीक्षित,
मुराद अलीथाना गोपालगंज (बिहार) का रहने वाला बताया है। ए लोग जनपद गोरखपुर व आस पास के जनपदों के तालाबों एवं नदियों से स्थानीय कछुआ तस्करों के माध्यम से कछुए इकट्ठा कराते है, इसके पश्चात उन कछुओं की बिहार व पश्चिम बंगाल में सप्लाई करते है।
तस्कर नीरज दीक्षित के विरुद्व अपराध संख्या 18/22-23 धारा 9, 51 (1) 48ए, 49बी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 वन्य रेन्ज दक्षिण निघांसन, उत्तर खीरी, वन प्रभाग, दुधवा टाइगर रेन्ज लखीमपुर खीरी मे पहले से दर्ज है।
गिरफ्तार दोनो तस्वीरों के विरूद्ध वन रेंज तिलकोनिया वन प्रभाग, गोरखपुर में क्राइम नं0 10/2024 धारा 09, 21, 39, 48, 49 (बी), 50, 51, 57, 52 (क), वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कराया गया है। आवश्यक विधिक कार्यवाही वन रेंज तिनकोनिया, गोरखपुर द्वारा की जा रही है।
तस्कर बने हुए कछुए का काल बिलुप्त होती जा रही की कई प्रजाति।
बताते चले कि वन्य जीव अपराध नियन्त्रण ब्यूरो भारत सरकार की पहल पर एस०टी०एफ० ने पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में कछुओं की तस्करी पर प्रभावी कार्यवाही की है। भारत में कछुओं की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियाँ उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। इनमें 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुए के माँस अथवा पालने (as pet) अथवा कछुएं की कैलिपी (झिल्ली) को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा के लिए किया जाता है। कछुओं को Soft Shell (मुलायम कवच) तथा hard Shell (कठोर कवच) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यमुना, चम्बल, गंगा, गोमती, घाघरा, गण्डक आदि नदियों, उनकी सहायक नदियों, तालाबों, आदि में यह दोनों प्रकार के कछुए बहुतायत में पाए जाते हैं।