बुधवार, 22 मई 2024

सुल्तानपुर: वोटिंग से पहले बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सपा में हुए शामिल।||Sultanpur: Before voting, strongman former MLA Chandrabhadra Singh joined SP.||

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सुल्तानपुर: 
वोटिंग से पहले बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सपा में हुए शामिल।
2019 लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी को दी थी कड़ी टक्कर।
दो टूक : सुल्तानपुर में वोटिंग से पहले भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। इसका कारण है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मेनका को कड़ी टक्कर देने वाली बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह 'सोनू सिंह' ने सपा ज्वाइन कर ली है। समाजवादी पार्टी के आधिकारिक अकाउंट से X पर फोटो पोस्ट कर इसकी जानकारी दी गई है। जिसमें अखिलेश यादव को पूर्व विधायक बुके देते नजर आ रहे हैं।
सुल्तानपुर में वोटिंग से पहले भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। इसका कारण है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मेनका को कड़ी टक्कर देने वाली बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह 'सोनू सिंह' ने सपा ज्वाइन कर ली है। समाजवादी पार्टी के आधिकारिक अकाउंट से X पर फोटो पोस्ट कर इसकी जानकारी दी गई है। जिसमें अखिलेश यादव को पूर्व विधायक बुके देते नजर आ रहे हैं।
       2019 के लोकसभा चुनाव में सोनू सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। वह भाजपा की मेनका गांधी को कड़ी टक्कर दिए थे। जिसमें 14 हजार वोट से मेनका गांधी चुनाव जीती थी।
▪️2002 में पहली बार बने विधायक।
धनपतगंज ब्लॉक के मायंग निवासी चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह ने घर वापसी कर ली है। 2002 में वह सपा के टिकट पर इसौली सीट से पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2007 में भी वे सपा से जीते। उन्होंने 2009 में सपा को अलविदा कहकर बसपा का दामन थामा। 2009 के उप चुनाव में बसपा से रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की। 2012 में वो पीस पार्टी में चले गए। इस वर्ष उन्होंने सुल्तानपुर और उनके भाई यशभद्र सिंह मोनू ने इसौली से चुनाव लड़ा। दोनों हारे जरूर लेकिन भाजपा और बसपा की जीत में रोड़ा बन गए।
 ▪️2014 में भाजपा में शामिल हुए थे।
इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने भाजपा ज्वाइन किया। वरुण गांधी की जीत में दोनों भाइयों का बड़ा योगदान रहा, लेकिन 2017 आते आते दोनों से वरुण ने किनारा कर लिया। 2017 में मोनू ने इसौली से लोकदल के बैनर तले चुनाव लड़ा और हार गए। इसके बाद 2019 में चंद्रभद्र सिंह बसपा के टिकट पर मेनका गांधी के मुकाबले पर उतरे। जिसमें मेनका गांधी को कड़ी टक्कर दिए। यही वजह रही कि मेनका ने सांसद रहते हुए पांच साल दोनों भाइयों का जमकर विरोध किया, लेकिन अब उनकी सपा में इंट्री होने से भाजपा को परेशानी में डाल दिया है।