मंगलवार, 11 जून 2024

बलरामपुर :दलित की जमीन पर कब्जा और मौत मामले मे जांच के लिए जनपद में कभी भी एसआईटी ||Balrampur :SIT may be formed in the district anytime to investigate the case of occupation of Dalit's land and death.||

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बलरामपुर :
दलित की जमीन पर कब्जा और मौत मामले मे जांच के लिए जनपद में कभी भी एसआईटी का हो सकता है पदार्पण।।
◆जोन के बाहर के वरिष्ठ एडीजी स्तर के आईपीएस अफसर श्री जय नारायण सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक रेलवे लखनऊ, अध्यक्ष व श्री राम प्रकाश अपर आयुक्त प्रशासन देवीपाटन मण्डल S.I.T.में सदस्य नामित।।
दो टूक : बलरामपुर जनपद के थाना गैंडास बुजुर्ग अंतर्गत थाने से सटी व्यक्ति की निजी व्यावसायिक भूखण्ड जमीन को थाने की पुलिस द्वारा ही महानवमी के दिन कब्जाने के मामले में  मा0 हाईकोर्ट के आदेश पर दो सदस्यीय विशेष जांच टीम  S.I.T.का गठन हो गया है। 
विस्तार:
 बताते चलें कि थाना गैंडास बुजुर्ग अंतर्गत निवासी दलित राम बुझारत की बेशकीमती जमीन पर थाने के अधिकारियों  द्वारा कब्जा करने के कारण आत्महत्या के प्रकरण में  मा0 हाई कोर्ट की द्विसदस्यीय जजों की खण्डपीठ ने विगत 30 मई 2024 को बलरामपुर और बहराइच पुलिस की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट की निगरानी वाली न्यूनतम आईजी स्तर के बहुत कर्तव्यनिष्ठ और निपुण अधिकारियों वाली *एसआईटी  S.I.T.*  12 जून 2024 तक गठित करने का आदेश अपर मुख्य सचिव गृह उत्तर प्रदेश शासन को दिया था।
विदित हो कि मृतक दलित राम बुझारत की पत्नी कुसुमा निवासी गैडास बुजुर्ग ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर तत्काीलन एसएचओ पवन कनौजिया एवं पुलिस के अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए यह आरोप लगाया था कि उसकी निजी जमीन पर थाना पुलिस/एसएचओ पवन कनौजिया द्वारा जबरन कब्जा कर लिया गया। पुलिस द्वारा अवैध कब्जे की शिकायत राम बुझारत द्वारा थानाध्यक्ष गैंडास बुजुर्ग से लिखित तहरीर के द्वारा की गई थी, परन्तु थानाध्यक्ष द्वारा सिविल कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन होने का तथ्य संज्ञानित होने के बावजूद निरन्तर अवैध कब्जे का प्रयास किया जाता रहा। अपनी बेशकीमती जमीन थाने की पुलिस द्वारा ही कब्जा कर लिये जाने से क्षुब्ध होकर राम बुझारत ने विगत 24 अक्टूबर 2023 दशहरे के दिन विरोध स्वरूप थाने के सामने ही ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्मादाह कर लिया था जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। मामले में अत्यन्त विलम्ब के उपरान्त थाना गैंडास बुजुर्ग में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। परन्तु मुकदमें में पुलिस द्वारा निष्पक्ष विवेचना एवं कार्यवाही नहीं की गई जिससे असंतुष्ट मृतक राम बुझारत की पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस के खिलाफ कार्यवाही एवं निष्पक्ष विवेचना की मांग की थी तथा यह भी आरोप लगाया गया कि किस तरह से थाना पुलिस को बचाया गया।  मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर शासकीय अधिवक्ता द्वारा जिला प्रशासन से प्रति शपथपत्र मांगा था जिसमें जिला मजिस्ट्रेट श्री अरविन्द सिंह द्वारा काउन्टर एफिडेबिट दायर किया गया जिसमें कि मजिस्टीरियल जांच की रिपोर्ट व सिविल न्यायालय की कोर्ट कमीशन रिपोर्ट इत्यादि मा0 हाईकोर्ट के समक्ष योजित की गई थी। 30 मई 2024 को सुनवाई के वक्त इन समस्त दस्तावेजों काउन्टर एफिडेबिट के आलोक मे मा0 हाईकोर्ट ने यह निर्णय लिया कि रेन्ज के दोनों जनपदों की पुलिस से मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है और पुलिस की इस अन्वेषण पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। इसलिए अत्यन्त वरिष्ठ अधिकारियों की अध्यक्षता में हाईकोर्ट की निगरानी वाली एसआईटी गठन करने का आदेश जारी कर दिया।
 चूंकि राम बुझारत की भूमि का विवाद पहले से सिविल कोर्ट बलरामपुर में विचाराधीन है। सिविल कोर्ट के तकनीकी बिन्दुओं पर स्पष्टता आ जाये इसके लिए कोर्ट कमीशन भी हुआ था। कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट दिनांक 02.09.2023 में भी इस बात का उल्लेख है कि उक्त भूमि थाना गैंडास बुजुर्ग की नहीं है और मुकदमे में निजी पक्षकारों के मध्य वादग्रस्त भूमि है। सन 2018 में दिनांक 27.11.2018 को तत्कालीन एसडीएम उतरौला ने तत्कालीन एसपी को नवीन थाने के निर्माण हेतु थाने की जमीन आवंटित की गई थी, उसका समस्त नजरी नक्शा पुलिस को हैण्डओवर किया गया जिसमें थाने की आगे की जमीन थाने को कभी नहीं दी गई थी। अतः कानूनी रूप से स्पष्ट था कि पुलिस अधीक्षक को समस्त कानूनी तथ्यों का पहले से ही संज्ञान था। यह भी उल्लेखनीय है कि उ0प्र0 पुलिस आवास निगम के ले-आउट में भी आगे की जमीन थाने की जमीन नहीं है और जो बाउन्ड्रीवाल बन चुकी है वह भी नियम संगत बनी है। इसीलिए थाने की पुलिस के कहने पर भी आवास निगम के अधिकारियों ने अवैध निर्माण करने से सीधे मना कर दिया था। फिर भी पुलिस द्वारा इस जमीन को कब्जा करने में रूचि क्यों ली गई। अब यह परत-दर-परत पूरी बात खुल करके सामने आ गई। 
यह भी गौरतलब है कि जब नवरात्रि दुर्गापूजा एवं दशहरे के कारण पूरे भारत वर्ष में न्यायालयों एवं अन्य सरकारी दफ्तरों में चार दिन की छुट्टी थी, उस समय छुट्टियों का लाभ उठाकर थाना पुलिस द्वारा राम बुझारत की जमीन पर सुनियोजित तरीके से सोची-समझी रणनीति के तहत अवैध कब्जा किया गया और राम बुझारत थाना पुलिस से अनुनय-विनय करता रहा और थाने की पुलिस राम बुझारत से न्यायालय से स्टे आर्डर लाने को कहती रही। तत्कालीन थानाध्यक्ष गैडास बुजुर्ग पवन कनौजिया ने जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ मा0 हाईकोर्ट में योजित याचिका में इसका उल्लेख भी किया है।
यहीं नहीं पुलिस के जनपद स्तरीय वरिष्ठ अधिकारी द्वारा मृतक राम बुझारत की पत्नी कुसुमा को दबाव मे लेने के लिए लोकसभा चुनाव की पोलिंग पार्टी की रवानगी दिनांक 24 मई 2024 के दिन उस पर गलत एवं बेकार के अनर्गल आरोप लगाते हुए पत्र जारी किया गया था। संभव है कि मा0 हाईकोर्ट में सुनवाई की तिथि दिनांक 30 मई 2024 को याची कुसुमा पर दबाव बनाने के लिए पुलिस द्वारा ऐसा किया गया हो जो कि अपने-आप में जांच का विषय है। 
मा0  हाईकोर्ट में जिला प्रशासन की रिपोर्ट, मजिस्टीरियल इन्क्वायरी रिपोर्ट, कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट को चैलेन्ज करने के लिए तत्कालीन एसएचओ के माध्यम से पुलिस द्वारा लाखों रूपए प्रति पेशी वाले मंहगे वकीलों को रखकर एक अनैतिक प्रयास किया गया था और मात्र एक टेम्पोरेरी स्टे प्राप्त होने पर स्तरहीन जश्न मनाया गया और शासन के प्रतिनिधि की ही कुर्सी को ही चैलेन्ज कर दिया गया। परन्तु इतना मंहगा खर्चा काम नहीं आया और नतीजतन यह दांव पुलिस को उल्टा पड़ गया तथा मा0 हाईकोर्ट की डिवीजन बेन्च ने समस्त एफिडेबिट एवं काउन्टर एफिडेबिट, कोर्ट कमीशन इत्यादि को समाधान मानते हुए एसआईटी गठित करने का आदेश अपर मुख्य सचिव गृह उ0प्र0 शासन को जारी कर दिया।  
मा0 हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में गृह विभाग द्वारा *दो सदस्यीय S.I.T.* का गठन कर दिया गया है जिसमें जोन के बाहर के वरिष्ठ एवं ईमानदार छवि के आईपीएस अफसर श्री जय नारायण सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक रेलवे लखनऊ, को अध्यक्ष व श्री राम प्रकाश अपर आयुक्त प्रशासन देवीपाटन मण्डल सदस्य नामित किया गया है। विशेष जांच समिति (S.I.T.) मामले की जांच एक माह के अन्दर पूरी करते हुए हाईकोर्ट को जांच आख्या उपलब्ध कराएगी।
चूंकि प्रकरण विशुद्ध रूप से सिविल कोर्ट से आच्छादित है और आबादी तथा वाणिज्यिक भूमि का प्रकरण है। सिविल कोर्ट बलरामपुर द्वारा प्रश्नगत भूमि के वाद में भूमि का डिमार्केशन भी कराते हुए कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट प्राप्त की गई थी अर्थात उक्त प्रकरण में राजस्व विभाग के अधिकारियों की अधिकारिता समाप्त हो गई। अतः सिविल कोर्ट के प्रकरण से जुड़े हुए तथ्यों को इस जांच की तारतम्यता हेतु इस क्षेत्र के विशेषज्ञता के कारण अपर आयुक्त प्रशासन देवीपाटन मण्डल गोण्डा को एसआईटी के अध्यक्ष वरिष्ठ आईपीएस अफसर श्री जय नारायण सिंह के साथ सहयोगार्थ नामित किया गया है। उल्लेखनीय है कि शासन ने इसी आदेश में पुलिस अधीक्षक बलरामपुर को निर्देश दिये है कि  *अब निष्पक्ष विवेचना के लिए मामले से जुड़े समस्त अभिलेख एवं साक्ष्य एसआईटी को तत्काल उपलब्ध करा दें।* जिससे यह स्पष्ट है कि गृह विभाग उ0प्र0 शासन का विनिश्चय हो गया है कि निष्पक्ष जांच जनपद पुलिस से संभव नहीं है। यह भी उल्लेखनीय कि गृह विभाग द्वारा काउन्टर एफिडेबिट, एफिडंेबिट, कोर्ट कमीशन रिपोर्ट सहित समस्त दस्तावेजों का विश्लेषण करने के उपरान्त जिला मजिस्ट्रेट द्वारा किये गये कार्यों को बल प्रदान किया है और निष्पक्षता हेतु यह जांच संस्थित की है जिसमें जोन के बाहर के ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी होगें। 
अब एसआईटी का पदार्पण जनपद में कभी भी हो सकता है। सूत्रों की मानें तो एसआईटी जांच में तत्कालीन थानाध्यक्ष गैंडास बुजुर्ग सहित पुलिस विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध बड़ी कार्यवाही होने की पूरी एवं प्रबल संभावना है।