मंगलवार, 9 जुलाई 2024

अम्बेडकर नगर : उस्मापुर में रास्ते के विवाद कही बन न जाए, बवाल-ए-जान ||Ambedkar Nagar : Road dispute in Usmanpur may turn into a life-threatening situation.||

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अम्बेडकर नगर : 
उस्मापुर में रास्ते के विवाद कही बन न जाए, बवाल-ए-जान ।।
।।  ए - के -चतुर्वेदी ।।
दो टूक : अम्बेडकरनगर जिला और तहसील प्रशासन की लापरवाही के चलते जिले में जमीन विवाद के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अफसरों के निर्देश के बाद भी कानूनगो और लेखपाल पैमाइश और पत्थर नसब कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसका नतीजा है कि आए दिन जमीन के विवाद में खून बह रहा है।राजस्ववादों को निबटाने के लिए ही तहसील दिवस, थाना समाधान दिवस का आयोजन किया गया, मगर कोई भी अधिकारी मौके पर पहुंचकर न तो समाधान कराना चाहता है और न ही कोई एक्शन लेना चाहता है। सिर्फ आख्या का दौर ही चलता रहता है। जिसके कारण जिले में राजस्ववादों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा है। जिले में होने वाली आपराधिक घटनाओं में हर तीसरा मामला जमीन से जुड़ा होता है। भूमिधरी जमीन पर अवैध कब्जा, हिस्से के बंटवारे को लेकर विवाद कभी-कभी गंभीर रुप धारण कर लेते हैं।राजस्व विभाग के अफसरों को जमीन का विवाद देखते ही बुखार आ जाता है। तहसीलों में एसडीएम की लापरवाही से छोटे-छोटे मामलों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।जब कोई किसान अपने खेत का सीमांकन कराना चाहता है, तो वह छह माह तक एसडीएम कोर्ट में भू-राजस्व संहिता की धारा 24 के तहत हकबरारी का दावा करता है। न्यायालय में छह माह तक प्रक्रिया चलने पर पैमाइश के लिए आदेश होता है। पीड़ित पक्ष से एक हजार रुपये ट्रेजरी में जमा कराए जाते हैं। इसके बाद भी कभी पुलिस नहीं, तो कभी राजस्व कर्मचारी के नहीं होने पर पैमाइश के लिए सालों लग जाते हैं। पैमाइश कराने के लिए लेखपाल और कानूनगो से कहते रहिए, मगर वह सीधे मुंह बात नहीं करते हैं वह रुपये की तलाश में आज और कल आने की बात कहते रहते हैं। मगर रुपये देखते ही प्यार की लब्ज बोलने लगते हैं। कुछ ऐसा ही मामला सैदापुर प्रधान के द्वारा तालाब पर किए गए अतिक्रमण को लेकर एक दशक से अधिकारियों के ऑफिसों के चक्कर लगाते गुजर गए फिर भी तालाब की जमीन 907 गाटे से अतिक्रमण नहीं हट सका।
 दूसरा मामला तारा खुर्द ग्राम सभा के उस्मापुर का जहां पर रास्ते के निर्माण में अतिक्रमण को लेकर प्रधान द्वारा कई बार उच्च अधिकारियों से कहा गया परंतु मामले का निस्तारण नहीं हो पाया और अंततः दो पक्षों में लाठियां भी चटकी किसी के हाथ टूटे किसी का सर फटा मामला केवल राजस्व से संबंधित वह भी रास्ते को लेकर।आलम यह है कि प्रधान कहते-कहते थक गये। फिर भी जिम्मेदार अधिकारियों ने कुछ ना सुनी, मारपीट होने के पश्चात राजस्व महकमा हरकत में आया। अब कच्छप गति से नापतोल और अतिक्रमण की प्रक्रिया शुरू करने की कवायद करना शुरू कर दिया है। अगर समय रहते राजस्व विभाग मामले का निपटारा कर दिया जाए तो विवाद की स्थिति ही ना उत्पन्न हो। ग्रामीणों द्वारा यह भी कहा जाता है कि जब जन प्रतिनिधि(प्रधान)के कहने के पश्चात यह स्थिति अधिकारियों के द्वारा की जा रही कार्यवाही में लापरवाही हो रही है तो आम जनता के साथ क्या हश्र होता होगा यह अनुभव किया जा सकता है।