गोण्डा :
एक डॉक्टर पर कई जगहों का प्रभार कैसे हो पशुओं का इलाज।
दो टूक : गोंडा जनपद में आश्रय केंद्रों में रह रहे मवेशियों का इलाज न होने की समस्या सामने आती रही है। हालांकि बीच में कुछ सक्रिय चिकित्सकों ने इस समस्या को थोड़ा कम किया था लेकिन उन चिकित्सकों का अन्य जनपदों में तबादले के बाद पशुओं के इलाज का संकट और गहरा गया है। आलम ये है की इलाज के अभाव में कमजोर मवेशी य तो दम तोड़ देते है अथवा दर्द से तड़पने को मजबूर हैं। बीते वर्ष इटियाथोक, बाबागंज व मुजेहना में तीन चिकित्सा अधिकारी तैनात रहे हैं। उनके स्थानंतरण के बाद पशु चिकित्सा विभाग पर्याप्त डॉक्टरों की तैनाती नही कर पाया है। आलम ये है की एक ही चिकित्सक को इटियाथोक, बाबागंज और मुजेहना तीनो सम्हालना पड़ता है। करीब बीस किलो मीटर के दायरे में इन पशु अस्पतालों पर उपस्थित देना उसके बाद अस्पताल से निवृत हो कर आश्रय केन्द्रो के मवेशियों का इलाज सम्भव नही हो पा रहा है। गुरूवार को महेशभारी गौ आश्रय केंद्र में एक गौवंश का कान हलुलुहान पाया गया, गौ वंश के कान में लगाये गए टैग से खून टपक रहा था, जिसमे किसे भी बजबजा रहे थे। संचालक ने बताया की कई दिनों से डॉक्टर को फोन किया जा रहा है लेकिन कोई इलाज के लिए नही आया। उन्होंने यह भी बताया की पास के ग्राम पंचायत त्रिलोकपुर की गौशाला में जलभराव होने से करीब 28 मवेशियों को यहां शिप्ट किया गया है। लेकिन कोई अतिरिक्त ब्यवस्था नही है। पूरेनेवल पहड़वा में भी यही हाल देखने को मिला वहां संचालक व कोई कर्मचारी भी नही दिखा जो पशुओं की देखभाल कर रहा हो। आश्रय केंद्रों की ब्यवस्था ढर्रे पर है जबकि बरसात के दिनों में पशुओं को होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।