लखनऊ :
अपराधियों के लिए आफत और पीड़ितों के लिए न्याय नए कानून:सीओ विवेक जावला।
दो टूक : तीन नए कानून के अस्तित्व में आने के बाद सोमवार को स्थानीय पुलिस ने थाना सभागार में बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों ,संभ्रांत लोगों,पत्रकारो क्षेत्रीय नेताओं के साथ गोष्ठी कर तीनों नए कानून के बारे में विस्तृत जानकारी देकर उनके प्रति जागरूक किया।
विस्तार :
इटावा जनपद जसवंत नगर के क्षेत्राधिकारी विवेक जावला ने नए कानूनों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि सोमवार एक जुलाई से औपनिवेशिक काल के कानून के अंत के साथ देश में आधुनिकरण युक्त तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए,जो क्रमश: देश में आजादी के बाद से लागू भारतीय दंड संहिता,अपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे।नए कानून के तहत अहम धाराओं में बदलाव किया गया है।जैसे हत्या की रेप की धारा 376 की जगह धारा 64, ठगी की धारा 420 की जगह 316, देशद्रोह की धारा 124 की जगह धारा 152, हत्या की धारा 302 की जगह 101, दुष्कर्म आदि धाराओं में बदलाव किया गया है। नए कानून से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी जिसमें जीरो एफआईआर के तहत पीड़ित कहीं का भी निवासी हो घटना से संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराकर अपने थाने में विवेचना करवा सकता है।नए कानून में ऑडियो वीडियो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस साक्ष्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों में कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। वहीं कुछ सामान्य अपराधों की धाराओं में सरल दंड के साथ सुधार स्वरूप सरलता प्रदान की गई है।
निष्कर्षत: नए कानून अपराधियों के लिए आफत बनकर टूटेगे वही वास्तविक पीड़ितों के लिए न्याय प्रिय होगा।
प्रभारी थाना निरीक्षक राम सहाय सिंह ने नए कानूनो को सरल शब्दों में समझाते हुए कहा कि पीड़ित/शिकायतकर्ता पहले की तरह ही मुकदमा दर्जगी के लिए प्रार्थना पत्र देंगे।नए कानूनो में अपराधियों के लिए कडी से कड़ी सजा का प्रावधान है वही पीड़ितों के लिए जल्द से जल्द न्याय का कानून है। वही चेताया कि अब अगर किसी ने झूठा मुकदमा लिखवाया तो सघन जांच जांच से गुजरना पड़ेगा।वही झूठा मुकदमा लिखवाने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।खचाखच भरे सभागार में नए कानूनों की जानकारी हेतु पंपलेट पोस्ट वितरित किए गए।
क्या है नये कानून में।
◆पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया।
◆राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध।
◆मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा।
◆पीडि़त कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआइआर, जांच की प्रगति रिपोर्ट भी मिलेगी।
◆राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं। पीड़ित का पक्ष सुना जाएगा
◆तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, एफआइआर, केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट सभी होंगे डिजिटल।
◆तलाशी और जब्ती में आडियो वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य
◆गवाहों के लिए ऑडियो वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प।
◆सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फारेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सबूत जुटाना अनिवार्य।
◆छोटे मोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रविधान।
◆पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत।
◆भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त।
◆इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकार्ड माने जाएंगे साक्ष्य।
◆भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा।
कौन सा कानून लेगा किसकी जगह।
◆इंडियन पीनल कोड (आइपीसी)1860 की जगह लागू हो रहा है - भारतीय न्याय संहिता 2023
◆क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) 1973 की जगह लागू हो रहा है - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
◆ इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह लागू हो रहा है - भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023