रविवार, 21 जुलाई 2024

लखनऊ :जानें दो टूक मीडिया पर गुरु पूर्णिमा का महत्व और आज का पञ्चाङ्ग ||Lucknow : Know the importance of Guru Purnima and today's Panchang on Do Tok Media.||

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लखनऊ :
जानें दो टूक मीडिया पर गुरु पूर्णिमा का महत्व और आज का पञ्चाङ्ग ।।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
।। डी एस चौबे ( शास्त्री)।।
● दिनांक -21 जुलाई 2024
●दिन -  रविवार
◆ विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार  2080)
● शक संवत -1946
◆ अयन - दक्षिणायन
● ऋतु - वर्षा ॠतु 
◆ मास - आषाढ 
● पक्ष - शुक्ल
◆ तिथि - पूर्णिमा अपराहन 03:46 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
● नक्षत्र - उत्तराषाढा रात्रि 12:14 तक तत्पश्चात श्रवण।
■ योग - विष्कंभ रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात प्रीति
● राहुकाल - शाम 17:18 से शाम 19:00 बजे तक
🌞 *सूर्योदय-05:25*
🌚 *सूर्यास्त-19:00*
❌ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
■ गुरु पूर्णिमा।।
आषाढी पूर्णिमा,व्यास पूर्णिमा,गुरू पूर्णिमा, संयासी चतुर्मास आरम्भ, विद्यालाभ योग (सूर्योदय से रात्रि 11:45 तक)
विशेष - पूर्णिमा एवं व्रत के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
◆ रविवार के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
● रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
◆ रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
● स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
          ■ गुरु पूजन।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम् |
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ||
अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् |
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ||
ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं |
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्षयम् ||
एकं नित्यं विमलं अचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् |
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ||
◆ ----ऐसे महिमावान श्री सदगुरुदेव के पावन चरणकमलों का षोड़शोपचार से पूजन करने से साधक-शिष्य का हृदय शीघ्र शुद्ध और उन्नत बन जाता है | मानसपूजा इस प्रकार कर सकते हैं 
मन ही मन भावना करो कि हम गुरुदेव के श्री चरण धो रहे हैं … सर्वतीर्थों के जल से उनके पादारविन्द को स्नान करा रहे हैं खूब आदर एवं कृतज्ञतापूर्वक उनके श्रीचरणों में दृष्टि रखकर … श्रीचरणों को प्यार करते हुए उनको नहला रहे हैं … उनके तेजोमय ललाट में शुद्ध चन्दन से तिलक कर रहे हैं … अक्षत चढ़ा रहे हैं … अपने हाथों से बनाई हुई गुलाब के सुन्दर फूलों की सुहावनी माला अर्पित करके अपने हाथ पवित्र कर रहे हैं … पाँच कर्मेन्द्रियों की, पाँच ज्ञानेन्द्रियों की एवं ग्यारहवें मन की चेष्टाएँ गुरुदेव के श्री चरणों में अर्पित कर रहे हैं 
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैवा बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात् ।
करोमि यद् यद् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि ।
शरीर से, वाणी से, मन से, इन्द्रियों से, बुद्धि से अथवा प्रकृति के स्वभाव से जो जो करते  हैं वह सब समर्पित करते हैं | हमारे जो कुछ कर्म हैं, हे गुरुदेव, वे सब आपके श्री चरणों में समर्पित हैं … हमारा कर्त्तापन का भाव, हमारा भोक्तापन का भाव आपके श्रीचरणों में समर्पित है इस प्रकार ब्रह्मवेत्ता सदगुरु की कृपा को, ज्ञान को, आत्मशान्ति को, हृदय में भरते हुए, उनके अमृत वचनों पर अडिग बनते हुए अन्तर्मुख हो जाओ … आनन्दमय बनते जाओ।।