लखनऊ :
जानें दो टूक मीडिया पर आज का पञ्चाङ्ग व शुभमुहूर्त।।
डी एस चौबे (शास्त्री)
दो टूक : सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
अर्थ -: सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। इन्हीं मंगलकामनओं के साथ आज का पंचांग जाने।
दिनांक -19 जुलाई 2024।
■ दिन - शुक्रवार
◆ विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)
● शक संवत -1946
■ अयन - दक्षिणायन
◆ ऋतु - वर्षा ॠतु
● मास - आषाढ
■ पक्ष - शुक्ल
◆ तिथि - त्रयोदशी शाम 07:41 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
● नक्षत्र - मूल 20 जुलाई रात्रि 02:55 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
■ योग - इन्द्र 20 जुलाई रात्रि 02:41 तक तत्पश्चात वैधृति
◆ राहुकाल -दिन 10:30 से दोपहर 12:13 बजे तक
🌞 सूर्योदय-05:24
🌚 सूर्यास्त-19:01
❌ दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
■ व्रत पर्व विवरण- जया पार्वती व्रत आरंभ (गुजरात), प्रदोष व्रत
★ विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कैसे करें सुबह की शुरुआत गुरुपूनम के दिन।
■ 21 जुलाई 2024 रविवार को गुरुपूनम (गुरुपूर्णिमा) है ।
★ इस दिन सुबह बिस्तर पर तुम प्रार्थना करना : ‘‘हे महान पूर्णिमा ! हे गुरुपूर्णिमा ! अब हम अपनी आवश्यकता की ओर चलेंगे । इस देह की सम्पूर्ण आवश्यकताएँ कभी किसी की पूरी नहीं हुई । संतुष्टि नहीं मिली । अपनी असली आवश्यकता की तरफ हम आज से कदम रख रहे हैं । उसी समय ध्यान करना । शरीर बिस्तर छोड़े उसके पहले अपने प्रियतम को मिलना । गुरुदेव का मानसिक पूजन करना । वे तुम्हारे मन की दशा देखकर भीतर-ही-भीतर संतुष्ट होकर अपनी अनुभूति की झलक से तुम्हें आलोकित कर देंगे। उनके पास उधार नहीं है, वे तो नगदधर्मा हैं ।
■ जीवन में गुरु का होन---
हिंदू धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा गुरु भक्ति को समर्पित गुरु पूर्णिमा का पवित्र दिन भी है। भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना है। वास्तव में यह दिन गुरु के रूप में ज्ञान की पूजा का है। गुरु का जीवन में उतना ही महत्व है, जितना माता-पिता का है ।
माता-पिता के कारण इस संसार में हमारा अस्तित्व होता है। किंतु जन्म के बाद एक सद्गुरु ही व्यक्ति को ज्ञान और अनुशासन का ऐसा महत्व सिखाता है, जिससे व्यक्ति अपने सतकर्मों और सद्विचारों से जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद भी अमर हो जाता है। यह अमरत्व गुरु ही दे सकता है। सद्गुरु ने ही भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया, इसलिए गुरु पूर्णिमा को अनुशासन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस प्रकार व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास गुरु ही करता है। जिससे जीवन की कठिन राह को आसान हो जाती है। सार यह है कि गुरु शिष्य के बुरे गुणों को नष्ट कर उसके चरित्र, व्यवहार और जीवन को ऐसे सद्गुणों से भर देता है। जिससे शिष्य का जीवन संसार के लिए एक आदर्श बन जाता है। ऐसे गुरु को ही साक्षात ईश्वर कहा गया है इसलिए जीवन में गुरु का होना जरूरी है।