मऊ :
पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा के बीच निकला अलम और ताजिए का जुलूस।
दो टूक : मऊ जनपद के कोपागंज इलाके मोहर्रम की दसवीं तारीख पर बुधवार को पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा के बीच अलम और ताज़िये का जुलूस निकला गया । जूलूस के दौरान या अली या हुसैन की सदा से गूंज उठा । जुलूस का आगाज़ चौक एक फुलेल पूरा से मौलाना हसन रज़ा सहाब की दिल सोज़ तक़रीर से हुआ। उन्होंने इमाम हुसैन मज़लूमी बया करते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने आखिर वक्त में याद किया कि ऐ मेरे शियाओं काश कि तुम कर्बला में होते तो देखते कि मैं किस तरीके से यज़ीदी लश्कर से अपने 6 माह के बालक के लिए पानी मांग रहा था। यह सुन कर वहां पर मौजूद लोगों के मानो कलेजा फट गया और वे दहाड़ कर रोने लगे। उसके बाद ताजिया एक की अंजुमन हाय मातमी ने नौहा मातम कर इमाम की ख़िदमत में आंसुओं का नज़राना पेश किया ।
जुलूस अपने परम्परागत रास्तों से होते हुए चला तो रास्ते में विभिन्न स्थानों के सभी ताजिये एक साथ जलूस में शामिल हो गए। जुलूस मुख्य शाम को मुख्य चौंक पर पहुंचा। जहां तकरीर के दौरान मौलाना शमशीर अली मुख्तारी ने कर्बला की तारीख पर रोशनी डालते हुए कहा कि दुनिया में इमाम हुसैन का वाहिद ऐसा नाम है जिसे मानने के लिए किसी मज़हब की कैद नही है। कहा कि इमाम हुसैन किसी मज़हब के नही बल्कि इंसानियत के रहनुमा हैं । उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन को क़त्ल करने वाले कोई हिन्दू, इसाई या यहूदी नही थे बल्कि हुसैन को मुसलमानों ने ही क़त्ल किया था । कहां की महात्मा गांधी ने कहा था कि इमाम हुसैन उस महान पुरुष का नाम है जिसने इंसानियत के लिए ज़ालिम यज़ीद के आगे सर कटा दिया मगर झुकाया नही। इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए कर्बला में अपने साथ बहत्तर साथियों की कुर्बानी दी जो मेरे लिए आदर्श बनी। सभी ताजियों को देर शाम काछी कला स्थित कर्बला में दफन किया गया । जूलूस में मौलाना हसन रज़ा,हसनैन अली, अम्बर हुसैन, इरशाद हुसैन,मौलाना शमशीर अली, डा.मौलाना मुन्तज़िर मेहंदी,जर्रार अली,कर्रार अली , बाक़र रज़ा शिबू, आबिद अली , जमील असग़र गुड्डू, कायम मेंहदी, अली ज़फर सहित बड़ी संख्या में छोटे बच्चे शामिल थे।