शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

अम्बेडकर नगर : जेल में बंद कैदियों से मिलने के लिए क्या हैं नियम||Ambedkar Nagar : What are the rules for meeting prisoners in jail||

शेयर करें:
अम्बेडकर नगर : 
जेल में बंद कैदियों से मिलने के लिए क्या हैं नियम ।।
।। ए के चतुर्वेदी ।।
दो टूक : अम्बेडकर नगर के जिला जेल में तो जेलों की सुरक्षा और वहां के हालातों पर सवाल खड़े होने लगे। लेकिन, जेल की हालत किसी से छिपी नहीं है। जेल में हर सुख सुविधा मुहैया होती है बस उसकी रेट लिस्ट फिक्स है। जेल में हालात बद से बदतर हैं ये सभी जानते हैं। क्षमता से अधिक बंदी जेलों में हैं। यही हाल अम्बेडकरनगर के जिला कारगार का भी है। जेल में बंदियों को सारी सुविधाएं मुहैया होती है।
◆जेल में मिलने के नियम।
बता दें कि अगर कोई व्यक्ति जेल में बंद होता है तो उसको परिजनों से मिलने को लेकर कुछ नियम बने हैं. जेल मैनुअल के मुताबिक एक कैदी सप्ताह में दो बार आगंतुकों से शारीरिक रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मिल सकता है. इसके अलावा उन्हें मिलने से पहले आगंतुकों के नाम बताने होंगे. इसके अलावा जेल प्रोटोकॉल के मुताबिक एक कैदी दस विजिटर्स के नाम दे सकता है. इनमें से तीन लोग हफ्ते में दो बार एक ही समय में कैदी से मुलाकात कर सकते हैं. बता दें कि हर राज्य और सेंट्रल जेल के मुलाकात को लेकर अपनी अपनी नियमावली है. जो कैदी सजायप्ता है उसके परिजन माह में दो बार तथा जो कैदी सजायप्ता नहीं है उनके परिजन हफ्ते में तीन बार मुलाकात कर सकते हैं परंतु जिला कारागार अंबेडकरनगर में ऐसा देखने को नहीं मिला। अंबेडकर नगर कारागार में पूर्ण रूप से राम राज्य आपको दिखाई पड़ेगा यही नहीं कैदियों से मिलने वाले मुलाकातें भी अपनी हलकतर करने के लिए तरसते हैं पर्ची काउंटर के बगल लगा शुद्ध पेयजल की टंकी से पानी भी नहीं लोगों को उपलब्ध हो रहा है जिससे मुलाकातीयों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन, एक बंदी ने जो आंखों देखा हाल जो बताया वो हैरान करने वाला था। मीडिया टीम ने जेल के हालातों की बारीकी से पड़ताल करने के लिए जब सुरागकसी की तो नाम और पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक बंदी ने जानकारी दी।लोगों द्वारा कहा जाता है यहां पर हर सुविधा उपलब्ध है केवल आपकी जेब में पैसा होना चाहिए।हाईप्रोफाइल केसों में निरुद्ध बंदियों की संख्या जिला जेल में अच्छी खासी है, जिसके चलते यहां कई सुख सुविधाएं उपलब्ध हो रही है। बंदी के मुताबिक सप्ताह में जब नॉनवेज खाने का मन होता है, उपलब्ध करा दिया जाता है।जेल में बंदी जब आता है तो मशक्कत के नाम पर उसकी रसीद काट दी जाती है। मशक्कत के नाम पर अच्छी खासी रकम ऐंठ ली जाती है। इसके बाद शुरू होता है बैरक से लेकर खाने, पीने, कपड़े आदि का सिलसिला। बंदी के मुताबिक जब भी जेल में परिजन मिलने आते हैं तो कमाई शुरू हो जाती है। मिलाई के दौरान जो भी सामान परिजन बंदियों को देकर जाते हैं। उसका कुछ हिस्सा जेल के सिपाहियों द्वारा रख लिया जाता है। वहीं यदि परिजन पैसे देकर जाते हैं तो कमीशन के नाम पर उनसे पैसे ले लिए जाते हैं। जब भी चेकिंग की जाती है तो कभी भी बंदियों के सामान में रुपये पैसे नहीं मिलते हैं। ये रुपये वहां मौजूद सिपाहियों द्वारा रख लिए जाते हैंं। घर पर अपने परिजनों से बात करने के लिए मोबाइल के लिए कूपन का सहारा होता है। पचास और सौ रुपये की कूपन कमाई का जरिया हैं। धूम्रपान करने वालों के लिए भी विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिला जेल में मिलने वाली सुविधाओं से अधिकारी भी वाकिफ हैं लेकिन, कबूलने को तैयार नहीं है। इन सब मामलों को लेकर जेल अधीक्षक से वार्ता करने का प्रयास किया गया परंतु फोन नॉट रीचेबल बताता रहा।