सोमवार, 19 अगस्त 2024

गोण्डा- जैविक खेती किसानी से अपनी आमदनी बढा रहे इटियाथोक क्षेत्र के भीखमपुरवा गाँव निवासी शिक्षक मनोज मिश्र, गन्ने व केले की लहलहाती उपज देखने को पहुँच रहे लोग

शेयर करें:
दो टूक, गोण्डा- जिले के इटियाथोक ब्लाक क्षेत्र अन्तर्गत भीखमपुरवा गाँव निवासी शिक्षक मनोज मिश्र जैविक खेती किसानी से अपनी आमदनी बढा रहे हैँ। इलाके के तमाम किसान इनके यहाँ पहुंचकर गन्ने व केले की लहलहाती उपज को देखकर अचंभित हो रहे हैँ। यहाँ पहुंचकर तमाम जानकारी इनसे लोग प्राप्त कर रहे हैँ। प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा के चर्चित प्रधानाध्यापक / गूगल गर्ल अंशिका मिश्रा के पिता मनोज मिश्र ने विद्यालयी वातावरण को जिस प्रकार से छात्र छात्राओं के अनुकूल बनाया है उससे हर कोई भली- भांति परिचित है। यही नहीं यहां की छात्राओं ने देश विदेश में अपने प्रतिभा का लोहा भी मनवाया है। शिक्षक मनोज मिश्र की सोच सिर्फ विद्यालयों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सब्जियों की जैविक खेती, फूल व केला की संयुक्त खेती श्री मिश्र कोरोना काल में ही सफलतम रूप से कर चुके हैं। अब क्षेत्र के बहुतायत भूभाग पर बोये जाने वाले गन्ने को इनके द्वारा जैविक पद्धति से तैयार किया जा रहा है और साथ मे हरी छाल के केले की खेती भी यह कर रहे हैँ।

मनोज मिश्र ने बताया कि गन्ने की फसल को अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों की जरूरत होती है साथ ही तमाम हानिकारक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग इसमें किसान कर रहे हैं। इससे न सिर्फ किसानों का खेती करने का खर्चा बहुत बढ़ जाता है बल्कि पर्यावरण व हमारे मिट्टी का भी बहुत नुकसान हो रहा है। इसी कार्य को एक सामाजिक चुनौती मानते हुए हमने इस वर्ष एक बीघा जमीन पर जैविक पद्धति गन्ने की फसल लगाई है जो कि अच्छे ग्रोथ के साथ साथ रोगमुक्त भी है। रिंग पिट विधि से यह गन्ना फरवरी माह में लगाया गया। एक वीघे में चार फिट का अंतर देते हुए 200 गड्ढे तैयार कराये गये। इसमे प्रत्येक गड्ढों में एक आंख की दस से बारह गिल्लियों का प्रयोग किया गया। गन्ने को कीटों व फंगसो से बचाने के लिए नीम की पत्ती, मदार की पत्ती व धतूरे की पत्तियों का संयुक्त उबला हुआ घोल घर पर तैयार कर प्रयोग किया जाता है। साथ ही उर्वरकों के रूप में सड़ी गोबर की खाद, गौमूत्र व गाय के ताजा गोबर, गुण व सरसों की खली का संयुक्त घोल इस फसल पर प्रयोग किया जा रहा है।

श्री मिश्र बताते हैं की गन्ने की फसल मीठी होने के कारण इसमें रोगों का प्रकोप अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक होता है, जिससे किसान परेशान होकर तमाम तरीके के कीटनाशकों का प्रयोग करते हैँ और यही कारण है कि किसानों की आय गन्ने की फसल में दिनों दिन घटती जा रही है। कहा की अगर हम अपने आस पास मिलने वाली उन तमाम चीजों का सदुपयोग करें जिनको हम महत्व ही नहीं देते तो सिर्फ पारिश्रमिक के बलपर गन्ने व अन्य फ़सल और सब्जी का बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।। गोण्डा से प्रदीप पांडेय की ख़ास रिपोर्ट।।