शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

गोण्डा- परिवार के इकलौते पालक के मार्ग दुर्घटना मे मृत्यु के बाद घर पर टूटा दुखों का पहाड़, पथराई व सूखी आंखों से किसी फरिश्ते की राह ताक रहे बूढ़े मां बाप

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दो टूक, गोण्डा- यह पीड़ा परसपुर क्षेत्र के एक ऐसे परिवार की है जिसका पेट पालने वाले इकलौते पुत्र की दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। अब बीमार माता पिता व मृतक की पत्नी और बेटी गरीबी व मुफलिसी के कारण भुखमरी तक को मजबूर है। मुफलिसी, लाचारी और गरीबी की आग भी इन बूढ़े मां बाप के इकलौते जवान बेटे की मौत का सदमा नहीं स्वाहा कर सकी। अब तो भुखमरी और फांकाकशी को मजबूर माता- पिता बस किसी ऐसे

 फरिश्ते की पथराई व सूखी आंखों से राह ताक रहे हैं जो इनके परिवार को दो जून का निवाला दिला सकें। इनके पेट पालने वाले लाल के एक सड़क दुर्घटना में काल के गाल में समां जाने के बाद अब इनको दो जून का निवाला तक नसीब नहीं हो पर रहा है। वाकई, ये खबर इतनी दर्दभरी है कि पढ़ने के बाद शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो अपने नयनों के अश्रु को रोक सके। 

पूरा मामला गोण्डा जिले के परसपुर थाना क्षेत्र के दूबेपुरवा आटा गाँव का है। यहाँ के निवासी गरीब बूढ़े पिता दिनेश मिश्रा और झुकती कमर का दंश झेल रही भूखी मां अपने 30 वर्षीय नौजवान लाडले की राह ताक ही रही थी कि ऐसी मनहूस घड़ी आ गयी जब कमाऊ इकलौता बेटा तो नहीं आया लेकिन उसकी दुर्घटना में मौत की दुखभरी खबर जरूर आ गयी। खबर क्या आयी मानो बूढ़े गरीब दिनेश मिश्रा और मृतक करन की मां पत्नी व मासूम अबोध बच्चे पर दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा। जवान बेटा तो गया ही साथ ही परिवार का इकलौता पालक भी चला गया जो बेचारा एक मोबाइल कम्पनी में अपने परिवार का पेट पालने के लिये डियूटी करने जा रहा था। उसे क्या मालूम था कि जिनके लिये रोटी का इंतजाम करने वो काम पर जा रहा है, उसके न लौटने पर वे ही लाचारी का शिकार होकर भूखे प्यासे दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो जायेंगे।

=पूरा मामला= 
दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग 927 पर ग्राम दुबेपुरवा, आटा परसपुर, गोंडा निवासी 30 वर्षीय नवयुवक करन कुमार मिश्रा पुत्र  दिनेश मिश्रा एक भयानक दुर्घटना का शिकार हो गया। वह काम के सिलसिले से अपने घर दुबेपुरवा से लखनऊ के लिए निकला था, लेकिन वह न लखनऊ पहुंचा और न ही जीवित घर लौटा। अपने परिवार का इकलौता जीविकोपार्जक करन मिश्रा, जिसके कंधों पर अपने वृद्ध और बीमार पिता, माता, पत्नी और एक अबोध 5 साल की छोटी बेटी (परी) की ज़िम्मेदारी थी। गत 17 जुलाई को वह अपने घर से मोटरसाइकिल पर लखनऊ काम के सिलसिले में निकला लेकिन रास्ते में मसौली से पहले विपरीत दिशा से आ रही तेज रफ्तार ईको वैन ने करन मिश्रा को टक्कर मार दी। करन के पिता को बाराबंकी पुलिस ने फोन कर सूचना दी कि आपका पुत्र करन सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया है जिसे हम ज़िला अस्पताल, बाराबंकी लेकर जा रहे हैं। यह सुन परिवार के लोग भयभीत हो गए और आनन- फानन में ज़िला अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर द्वारा बताया गया कि करण अब जीवित नहीं है।

परिजनों द्वारा स्थानीय लोगों से पूछताछ पर ज्ञात हुआ कि करन का एक्सीडेंट रात 9:30 पर हुआ जिसके पश्चात दुर्घटना स्थल पर मौजूद करन तीन बहनों का एकलौता भाई था। बहनें आने वाली राखी के त्योहार को मनाने के सपने बुन रहीं थी, भाई से मिल उसके कलाई पर बांधने के लिए अच्छी से अच्छी राखी ढूंढ रही थीं परंतु नियति के खेल का क्या पता था कि उनके इकलौते भाई का हाथ और साथ दोनों छिनने वाला हैं । बहनों को करण के निधन की सूचना जब परिजनों ने दी तो उनकी आस और श्वास दोनों टूट गयीं। बहनों का दुर्भाग्य ऐसा की वह भाई का अंतिम बार मुख भी नही देख पायीं।