दो टूक, गोण्डा- डीएम नेहा शर्मा ने शनिवार को नगर के सरयू प्रसाद कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज में फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया। दीप प्रज्ज्वलित कर अभियान का शुभारंभ करते हुए डीएम ने जिलावासियों से 10 अगस्त फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आशा कार्यकर्ता के सामने ही दवा का सेवन करने की अपील की। उन्होंने बताया कि जिला के सभी ब्लॉकों में व्यापक स्तर पर मास ड्रग एडमिनिट्रेशन (एमडीए) अभियान चलाया जायेगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ ले सकें।
इस दौरान कॉलेज की छात्राओं को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करने और दूसरों को भी प्रेरित करने की शपथ दिलाई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने कहा कि गोण्डा जिले से ही नहीं, बल्कि देश से भी फाइलेरिया रोग का समूल नाश करने के लिए अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मी के सामने ही दवा का सेवन करना है। उन्होंने कहा कि इस सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में जिले के लाभार्थियों को इस गंभीर बीमारी से बचाने के टीम के माध्यम से बूथ लगा कर एवं घर-घर जाकर इन दवाओं का सेवन कराना सुनिश्चित किया जाएगा। दवाओं का वितरण बिल्कुल भी नहीं किया जायेगा।
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल व एसीएमओ डॉ सीके वर्मा ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी का कोई इलाज नहीं है। साल में एक बार और लगातार पांच साल तक फाइलेरिया रोधी दवा खाकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। एमडीए अभियान में डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती, एक माह के बच्चे वाली प्रसूता और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। इस अभियान में एक से दो साल तक के बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की भी दवा खिलाई जाएगी।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि टीमों द्वारा घर घर दवा खिलाने के साथ ही सभी ब्लॉक एवं जिला स्तरीय सरकारी अस्पतालों में भी बूथ लगा कर दवा सेवन करवाया जायेगा। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर मौजूद परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं परंतु ऐसी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) भी बनाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए तुरंत बुलाया जा सकता है।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० रश्मि वर्मा, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ जय गोविन्द, डॉक्टर आरपी सिंह डीसीपीएम, फाइलेरिया निरीक्षक सत्य प्रकाश मौर्य, मलेरिया निरीक्षक सुनील चौधरी, भवानी प्रसाद तिवारी सहित डब्ल्यूएचओ, पाथ एवं पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि, कॉलेज की प्रधानाचार्या, अध्यापिकाएं एवं भारी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं। सभी ने दवाओं का सेवन किया।