शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

लखनऊ- सावधान, आप रिफाइंड/ सरसों तेल / घी खा रहें हैँ या जहर, फैसला आपके हाथ मे है

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दो टूक, लखनऊ- मित्रो आजकल हम लोग पूरी तरह से बाजार मे बिकने वाले उत्पादों पर निर्भर हो गए है, कोई चीज अपने घर मे तैयार करने की जहमत नहीं उठाना चाहते है। फ्लस्वरूप नकली और मिलावटी चीजों को खाकर बीमार हो रहे है और असमय मौत को गले लगा रहे है। आज के समय में लोगों की खान-पान की आदतों में बहुत बदलाव आया है। पहले सरसों या घी जैसे फायदेमंद तेल का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब रिफाइंड ऑयल का प्रयोग हर घरों में आम हो गया है। रिफाइंड ऑयल का प्रयोग सुविधाजनक लगता है, परंतु यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक साबित होता है।

रिफाइंड ऑयल में ट्रांस- फैटी एसिड, रसायन और कैंसरकारक तत्व होते हैं। इससे हृदयरोग, मोटापा, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। रिफाइंड ऑयल को हाई टेंपरेचर पर तैयार किया जाता है जिससे इसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। रिफाइनिंग की प्रक्रिया में ऑयल से विटामिन E, प्रोटीन और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स नष्ट हो जाते हैं। इससे ऑयल में ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट की मात्रा बढ़ जाती है जो हानिकारक होते हैं। यह LDL कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और इन्सुलिन लेवल को बढ़ाकर दिल की बीमारियों का खतरा पैदा करता है। इसलिए रिफाइंड ऑयल का नियमित उपयोग सेहत के लिए हानिकारक है। आप लोग रिफाइंड ऑयल के इस्तेमाल से बचें और  कच्चे तेल जैसे सरसों, तिल या नारियल का तेल का प्रयोग करें। इसको भी अपने सामने पेराई कराये और बाजार से खरीदकर न इस्तेमाल करे।

यही नहीं बल्कि आप लोग बाजार मे डिब्बे, बोतल या गैलन या टिन के चौकोर डिब्बे मे मिलने वाले सरसो तेल का उपयोग करते है। इसमें अक्सर आर्जीमोन तेल और दूसरे निम्न गुणवत्ता वाले तेलों की मिलावट की जाती है, जिससे इसकी शुद्धता, पौष्टिकता और गुणवत्ता खराब हो जाती है। इसके अलावा सरसों के तेल में अरंडी का तेल मिलाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब 80 फीसद सरसों तेल 'राइस ब्रान' यानी धान की भूसी का तेल मिलाकर बनाया जा रहा है। जानकारों के अनुसार 80 फीसदी सरसों तेल, राइसब्रान डीओ मिलाकर बनाया जा रहा है। चूंकि धान पंजाब में अधिक होती है। इसलिए वहां से सस्ती कीमत पर राइसब्रान के टैंकर लाए जाते हैं। सरसों तेल गाढ़ा होता है इसलिए राइसब्रान डीओ को गाढ़ा करने के लिए उसमें सरसों तेल के रंग का कलर और सुगंध लाने के लिए एसेंस मिलाया जाता है। लेबोरेटरी जांच के बिना इनकी पहचान नहीं हो पाती। कलर और एसेंस लोगों में कैंसर का कारण बनता है। खाने में सरसों का तेल का स्वाद तीखा होता है। इसकी सुगंध भी तेज होती है। पामोलीन मिले सरसों तेल को फ्रिज में रखने पर जम जाता है। शुद्ध सरसों का तेल जमता नहीं है। बेहतर होगा की आप बाजार से सरसों लेकर उसकी पेराई कराकर उसका तेल इस्तेमाल करे या अनेक जगह दूकान पर सरसो की पेराई होती है वहाँ जाकर शुद्ध तेल खरीदे।

अगर आप ब्रांडेड कंपनी का नाम देखकर बाजार से शुद्ध घी खरीद रहे हैं तो जरूरी नहीं कि जो आप खरीद रहे हैं वह शुद्ध ही है। यह भी हो सकता है कि ब्रांडेड कंपनी का जो घी आपने खरीदा, वह नकली हो। जी हां, बाजार में नकली घी की भरमार है जो ब्रांडेड कंपनियों के पैकेट या डिब्बे में बेचा जा रहा है। आप और हम विश्वास करके जिस घी को खरीद रहे हैं, वह आपकी और हमारी सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है।

जयपुर में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम ने बीते 27 अगस्त को दिल्ली बाईपास स्थित एक फैक्ट्री पर छापा मारकर 1 हजार किलो नकली घी जब्त किया है। टीम के अधिकारियों ने अफजल विहार कॉलोनी स्थित एक मकान में छापा मारा। उस मकान में मोहम्मद अनीस नामक व्यक्ति भट्टियां लगाकर वनस्पति तेलों में घी का एसेंस मिलाकर नकली देसी घी बनाते हुए पकड़ा गया। इस नकली और मिलावटी घी को सरकारी ब्रांड सरस और ब्रांडेड कंपनी लोटस के नाम के डिब्बों में पैक करके सप्लाई किया जा रहा था। इस फैक्ट्री में ना केवल सरस और लोटस बल्कि महान और कृष्णा जैसे नामी ब्रांड के कार्टन भी पड़े मिले। पूछताछ में मोहम्मद अनीस ने बताया कि वह लंबे समय से नकली घी बनाने का कार्य कर रहा है। दिल्ली रोड के आसपास के क्षेत्र के अलावा वह जयपुर के ग्रामीण इलाके की सैकड़ों दुकानों में घी सप्लाई करता है। घी के कार्टून का पैकेट देखकर असली नकली में फर्क करना काफी मुश्किल था क्योंकि नकली घी के कार्टून और रेपर पर भी कंपनियों की तरह बार कोड और बैच नंबर लिखे हुए थे। कुल मिलाकर अगर आपको असली घी चाहिए तो घर आने वाले या घर मे मौजूद दूध के मक्ख़न को निकालकर जमा करे और उसी से घी बनाये। यानी कम खाये लेकिन शुद्ध खाये।

(रिफाइंड ऑयल के नुक्सान)=== 
शरीर में प्रोटीन की कमी 
कच्चे तेल में स्वाभाविक रूप से मौजूद गंध और प्रोटीन तत्वों को रिफाइनिंग की प्रक्रिया में हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया से तेल की गंध और स्वाद में सुधार होता है लेकिन प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा घट जाती है। प्रोटीन कम मात्रा में होने से रिफाइंड ऑयल का नियमित सेवन शरीर में प्रोटीन की कमी का कारण बन सकता है।

(त्वचा के लिए हानिकारक रिफाइंड ऑयल)===
रिफाइंड ऑयल में विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स नहीं होते हैं जो त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं। साथ ही इसमें मौजूद ट्रांस फैटी एसिड त्वचा की नमी को कम करते हैं जिससे रूखापन और झुर्रियां आती है।

हेल्दी फैट नहीं मिलता है 
रिफाइनिंग की प्रक्रिया में ऑयल से मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट्स को निकाल दिया जाता है। रिफाइंड ऑयल का नियमित सेवन हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है। अतः आप अगर स्वस्थ रहना चाहते हैँ तो रिफाइंड का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर दे और बाजार से सरसो तेल व घी लेने के बजाय खुद इसकी व्यवस्था करे।