लखनऊ :
पितृ पक्ष आज से, घर-घर होगा पितरों का तर्पण।।
दो टूक : पितृ पक्ष की शुरुआत: पूर्वजों के लिए तर्पण, श्राद्ध अनुष्ठान शुरू, जानें क्या है इसकी मान्यता।
।। देवेन्द्र कुशवाहा।।
देश के कई हिस्सों में 11 बजकर 44 मिनट पर भाद्रपद की पूर्णिमा लगने पर पितृपक्ष की भी शुरुआत हो गई. ऐतिहासिक सरयू व तमशा एवं जिले की सभी पवित्र नदियों पर लोगों ने आस्था पूर्वक पितरों को तर्पण किया है. 2 अक्टूबर तक पितृ पक्ष चलेगा, तब तक लोगों के मांगलिक कार्यक्रम भी बंद रहेंगे. मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में पूर्वजों को तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान करने से उनका आशीर्वाद मिलता है, और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
*पूर्णिमा लगते ही पितृ पक्ष की शुरुआत:*
रामप्रसाद तिवारी ने बताया कि हिंदू संस्कृति में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है, जो भाद्र मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा से शुरू होता है और अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. उन्होंने बताया को 11:44 पर पूर्णिमा की शुरुआत हुई है. पूर्णिमा लगते ही पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई. उन्होंने बताया पितृपक्ष में विभिन्न तिथियों में पूर्वजों को प्रतिदिन जल तर्पण करते हुए गुजरे हुए पूर्वजों की पुण्यतिथि वाले दिन श्राद्ध करने का प्रावधान है.
*हिंदू संस्कृति में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व:*
इसी को लेकर मंगलवार से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष में जलाशयों और नदियों के किनारे परिवार के लोग पहुंचकर पूर्वजों को जल तर्पण कर रहे हैं. तीर्थराज मचकुंड पर जल तर्पण को लेकर हिंदू संस्कृति में श्राद्ध पक्ष का विशेष प्रावधान है. ऐसे में प्रत्येक हिंदू परिवार को अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए और उन्हें जल तर्पण अवश्य करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यदि नदी किनारे तर्पण करने में परेशानी हो तो घर पर भी जल तर्पण किया जा सकता है.
पिंडदान का महत्व:
श्राद्ध पक्ष के दिन तीर्थराज मचकुंड के साथ विभिन्न जलाशयों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने तर्पण किया. उमाकांत त्रिपाठी ने बताया पितृपक्ष के 16 दिनों की अवधि के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है. इन अनुष्ठानों को करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे किसी व्यक्ति के पूर्वजों को उनके इष्ट लोकों को पार करने में मदद मिलती है. वहीं जो लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं करते हैं, उन्हें पितृ ऋण और पितृदोष सहना पड़ता है.
पात्र को भोजन कराकर दक्षिणा अवश्य दें:
रामानंद तिवारी ने बताया पितृ पक्ष में पूर्वज का जिस तिथि में निधन होता है, उसी दिन श्राद्ध किया जाता. श्रद्धा के समय पकवान और व्यंजन बनाकर पात्र या ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराना चाहिए. भोजन कराने के बाद शास्त्रों में दक्षिण का भी प्रावधान बताया गया है. ऐसा करने से पितरों को दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों संतापों से मुक्ति मिलती है.
पांच.जीव जिनका पितृ पक्ष में है खास महत्व, पंच तत्वों से है इनका संबंध।
पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होता है. जिसका समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में जो भोजन श्राद्ध के लिए बनता है उसमें से पशु, पक्षियों के लिए कुछ अंश निकाला जाता है. ऐसा किए बिना श्राद्ध पूरा नहीं माना जाता. यही प्रक्रिया पंचबलि कहलाती है. कोपागज निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु रामानंद तिवारी बता रहे हैं पितृ पक्ष में 5 जीवों का महत्व।
■कौआ---
कौआ वायु तत्व का प्रतीक माना गया है, पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराने का सबसे अधिक महत्व माना जाता है. श्राद्ध पक्ष में कौओं के लिए भोजन का एक अंश जरूर निकालना चाहिए. मान्यता है कि कौआ पितरों से जुड़े संकेत देता है, कहते हैं पितरों के निमित्त निकाला गया भोजन यदि कौआ खा लेता है, तो माना जाता है कि यह भोजन पितरों ने स्वीकार कर लिया है. इससे वह तृप्त और प्रसन्न होते हैं और अपने वशजों को आशीर्वाद देते हैं।
★गाय----
गाय पृथ्वी तत्व का प्रतीक मानी जाती हैं. सनातन धर्म में गौ माता को बहुत पूजनीय मानी जाती हैं और पितृ पक्ष में बने भोजन में से गाय के लिए एक अंश निकाला जाता है. यदि ये भोजन गाय को प्रतिदिन खिलाया जाए, तो इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में उन्नति, खुशहाली धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
●कुत्ता----
पितृ पक्ष में कुत्तों को भोजन कराया जाता है, जिसका बहुत महत्व बताया गया है. कुत्ते को जल तत्व का प्रतीक माना जाता है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितरों की तिथि पर भोजन का एक अंश कुत्तों को खिलाया जाता है, ऐसा करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति प्राप्त होती है और वह प्रसन्न होकर अपने परिवार को खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
◆ देवता----
पितृ पक्ष में देवताओं को भोजन कराने का भी विशेष महत्व हैं. देवताओं को आकाश तत्व का प्रतीक माना जाता है. पितृ पक्ष में बने भोजन में से एक अंश देवताओं के लिए भी निकाला जाता है. ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपनी संतानों को सम्पन्नता का आशीर्वाद देते हैं.
■ चिटीया--
पितृ पक्ष में चिटीया को भोजन कराने का सबसे अधिक महत्व माना जाता है. श्राद्ध पक्ष में चिटीया के लिए भोजन का एक अंश जरूर निकालना चाहिए. मान्यता है कि चिटीया पितरों से जुड़े संकेत देता है, कहते हैं पितरों के निमित्त निकाला गया भोजन यदि चिटीया खा लेता है, तो माना जाता है कि यह भोजन पितरों ने स्वीकार कर लिया है. इससे वह तृप्त और प्रसन्न होते हैं और अपने वशजों को आशीर्वाद देते हैं.