गुरुवार, 19 सितंबर 2024

लखनऊ :PGI के डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी मामले में पांच गिरफ्तार।||Lucknow:Five arrested in case of fraud of crores of rupees after digitally arresting a PGI doctor.||

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लखनऊ :
PGI के डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी मामले में पांच गिरफ्तार।
STF ने अब तक एक दर्ज गिरफ्तार गिरोह की तोड़ी कमर।।
दो टूक : राजधानी लखनऊ के एसजी पीजीआई की महिला डॉक्टर को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह के पांच आरोपियो को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। इसमें तीन बिहार और दो यूपी के रहने वाले हैं। इन सभी आरोपियों को बुधवार को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले भी इसी मामले मे कई आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
विस्तार:
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स को एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट करके लगभग 2 करोड़ रूपयेे अधिक की ठगी करने के मामले मे छानबीन कै दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि खुद को पुलिस अधिकारी व सीबीआई अधिकारी बनकर ठगी करने वाले गिरोह के कुछ सदस्य लखनऊ आ रहे हैं। इसी इनपुट पर कार्रवाई करते हुए एसटीएफ की टीम ने वेब मॉल गोमतीनगर के पास पेट्रोल पंप के पीछे से पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान ऋषिकेश कुमार, गोपाल कुमार उर्फ रौशन, गणेश कुमार, मणिकांत पांडेय और राजेश गुप्ता के रूप में हुई है। इनके पास से 15 चेक बुक, 18 एटीएम, 8 UPI स्कैनर, 7 मोबाइल और 2 लैपटॉप के साथ ही 2 लाख 42 हजार रुपए की नगदी बरामद की गई है
वहीं गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि हम लोग मिलकर साइबर ठगी करते हैं। हम लोगों ने ही लखनऊ पीजीआई की डॉ. रुचिका टंडन को डिजिटल तरीके से गिरफ्तार कर ठगी की थी। इस ठगी से काफी पैसा मिला था। आरोपियों ने बताया कि इस पैसे को तुरंत अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर अलग-अलग लड़कों के माध्यम से बिनेंस एप के माध्यम से यूएसडीटी खरीद कर वापस प्राप्त कर लिया था।
■  ठगी का तरीका शातिराना--
आरोपियों ने बताया कि हम लोग ठगी के पैसे को यूएसडीटी में कन्वर्ट कर कभी भी कैश करा लेते है और हमारा नाम भी कहीं नहीं आता था। पूछताछ में सामने आया कि फ्रॉड करते समय अलग-अलग लोगों से बात करने का काम ऋषिकेश उर्फ मयंक, गोपाल उर्फ रोशन उर्फ राहुल और गणेश करते हैं। जबकि मणिकांत पांडे उर्फ मिश्रा जी और राजेश गुप्ता अलग-अलग लोगों से बैंक खाते पर रजिस्टर्ड सिम, करंट अकाउंट, कॉरपोरेट अकाउंट चेक बुक, इंटरनेट बैंकिंग आईडी पासवर्ड की व्यवस्था करते हैं। जिससे उन खातों में ज्यादा से ज्यादा धन ट्रांसफर किया जा सके।
डिजिटल अरेस्ट का तरीका---
इस गिरोह ने एसजीपीजीआई की एक डॉक्टर के मोबाइल नंबर पर फोन कर उन्हें खुद को पुलिस/सीबीआई अधिकारी बताकर धमकाया था और उनकी व्यक्तिगत जानकारी लेकर उनके खाते से पैसा ट्रांसफर कर लिया था। वहीं गिरोह के सदस्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए अलग-अलग लोगों के खातों में पैसे को ट्रांसफर करा लिया गया था। जिन लोगों को डिजिटल रूप से गिरफ्तार किया जाना होता है, उनका डेटा टेलीग्राम ऐप पर स्कैमर्स और हैकर्स द्वारा बनाए गए विभिन्न खातों और चैनलों के माध्यम से मिल जाता है। वहीं एसटीएफ की टीम आरोपियों के बैंक खाते व वॉलेट की जानकारी के साथ ही गिरोह के अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है।