दो टूक/गोण्डा- हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। बीते 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि आरम्भ हुए हैँ। क्षेत्र मे स्थित देवी मंदिरो समेत चौक चौराहो एवं भक्तो के घरो मे प्रतिदिन माता की पूजा आराधना की जा रही है। इटियाथोक ब्लाक क्षेत्र के तहत मेहनौन पंचायत मे स्थित मां पटमेश्वरी देवी मंदिर पर इन दिनों अलल सुबह से लेकर दोपहर तक लोगो की भारी भीड़ हो रही है। यह देवी स्थान हजारों अनुयायियों के आस्था का केंद्र है। यहां पर नवरात्र भर भक्तो का तांता लगता है जो मां के दरबार में आकर माथा टेकते हैँ। असत्य पर सत्य की विजय का साक्षी यह एक ऐतिहासिक स्थान है। जहां नववधू ने अत्याचारी राजा का वध किया था।
यहां पर प्रत्येक नवरात्रि में विशाल मेला लगता है और परिसर मे कथा, भागवत, देवी जागरण, ब्राह्मण भोज, मुंडन संस्कार समेत विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान भी होते रहते हैं। इन दिनों इस मंदिर के बगल ही रात्रि मे यहाँ दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया गया है। बता दें कि इस मंदिर में पुरे साल के हर सोमवार और शुक्रवार को भक्तो की भारी भीड़ होती है और लोग पूजा, आराधना के साथ देवी दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि यहां पर आकर सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से देवी मां अपने भक्तो की हर मनौती को पूर्ण करती हैँ। परिसर मे तमाम प्रकार की दुकानों आदि की व्यवस्था है जहाँ भक्त खरीदारी करते हैँ और खानपान का आनंद लेते हैँ।
एक किदवंती के अनुसार पहले जंगल से सटे इस थरुहट क्षेत्र पर कनीज बाकड़ नामक राजा राज्य करता था। राजा ने नियम बना रखा था की जो भी नववधू उसके राज्य से होकर गुजरेगी उसे एक दिन उसके यहां रुकना होगा। राजा के इस आतंक की चर्चा तुलसीपुर स्थित पाटेश्वरी देवी स्थान तक पहुंच गई। यहां के एक सिद्ध पुजारी ने लोगों को समझाते हुए कहा कि मइया सब ठीक कर देगी। एक दिन नववधू का डोला जब इधर से गुजरा तो राजा ने हमेशा की तरह कहारों से डोला उतरवाकर नववधू को कैदकर अपने कब्जे में ले लिया। शाम को राजा ने जब गलत नियति से कमरे में प्रवेश किया तो वहां कैद नववधू ने राजा का सिर कलम कर दिया। बंद कमरे से कन्या की जोरदार आवाज आई कि आज से यहां किसी का डोला नहीं बल्कि सुअर चढ़ेगा। यह सुनकर लोगों ने जब कमरा खोला तो नववधू वहां से गायब मिली। रातभर में उस राजा का महल भी गिर गया।
बताया जाता है की कई बार प्रयास के बावजूद यहां मंदिर का निर्माण नहीं कराया जा सका था कोई न कोई बाधा आ जाती थी। अब पिछले कुछ वर्षो से यहाँ मुख्य मंदिर सहित अनेक निर्माण कार्य जनसहयोग से हुए है। अब यह प्राचीन मंदिर और परिसर जिले के किसी बड़े मंदिर से कम नही लगता है। प्रत्येक नवरात्रभर यहाँ विशाल मेला लगता है और अनेक तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी होते है।
यहाँ के पुजारी समेत स्थानीय बुजुर्गो ने बताया की जिस स्थल पर राजा की हत्या हुई थी उस स्थान पर कई दशकों तक सुअर की बलि चढ़ाई जाती रही लेकिन धीरे-धीरे अब यह प्रथा खत्म हो गई है, लेकिन जहां से नववधू गायब हई थी उस स्थान की पूजा आज भी देवी स्थान के रूप में की जा रही है। यहाँ पर नवरात्र में हजारो श्रद्धालु दूर दूर से आकर माथा टेकते हैं। मनौतियां पूरी होने पर लोग सत्यनरायन कथा, मुंडन, हवन व श्रीमद्भागवत पाठ भी यहाँ कराते हैं। इस मंदिर पर दूर दूर से आकर महिला, पुरुष, वृद्ध और बच्चे नवरात्र में देवी की पूजा आराधना करते है और मेले का आनंद लेते है। मेला क्षेत्र में खिलौनों, चूड़ियों, मिठाइयो, फलो, पूजन सामग्रियों और चाट समोसे आदि की तमाम दुकाने लगती है। यहाँ पर महिलाओं और बच्चों द्वारा जमकर खरीददारी की जाती है।
मेहनौन पंचायत की महिला ग्राम प्रधान गरिमा सिंह ने बताया की नवरात्रि के दौरान यहां पर काफी भीड़ होती है और दूरदराज क्षेत्रों से हजारों की संख्या में देवी भक्त आकर मां के दर्शन पूजन करते हैं। परिसर मे साफ सफाई के लिए इटियाथोक ब्लाक से सफाईकर्मियों की टीम यहाँ तैनात की जाती है। प्रधान प्रतिनिधि रामू सिंह ने बताया कि मंदिर पर नवरात्र में तमाम प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान जैसे कथा, भागवत, भजन कीर्तन, मुंडन संस्कार आदि होते रहते है। इस मंदिर पर प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को इलाकाई लोगो की भारी भीड़ होती है तथा लोग पूजा, अर्चना और देवी दर्शन करते है। सुरक्षा व्यवस्था में यहां नवरात्र भर हर रोज धानेपुर पुलिस टीम मौके पर मौजूद रहती है, इसमें महिला और पुरुष टीम रहती है।। गोण्डा से प्रदीप पांडेय की ख़ास रिपोर्ट।।