लखनऊ :
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति 4 की 27 वीं बैठक सम्पन्न।
दो टूक : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय,भारत सरकार के अंतर्गत गुरुवार को उत्तर प्रदेश,बिहार,और झारखंड राज्यों को सम्मिलित करने वाली आईसीएआर क्षेत्रीय समिति 4 की 27 वीं बैठक का आयोजन किया गया।
यह बैठक आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी द्वारा भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ में संपन्न हुई। आईसीएआर ने आठ क्षेत्रीय समितियों की स्थापना विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के आधार पर की है। इन बैठकों का उद्देश्य शोधकर्ताओं और राज्य सरकार के अधिकारियों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे कृषि, पशुपालन और मत्स्यपालन में मौजूदा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण प्रयासों की प्रमुख कमियों की समीक्षा कर सकें।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री, कृषि, अनुसंधान एवं शिक्षा सूर्य प्रताप शाही थे।
अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में बाढ़, सूखा और कीट-रोग जैसी अनेक चुनौतियाँ हैं, जिन्हें कम करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन बैठकों से न केवल प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है, बल्कि समस्याओं की पहचान कर संभावित समाधानों पर विचार किया जाता है। झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में प्रतिकूल जलवायु स्थितियों के कारण किसानों के लिए नई जलवायु-सहिष्णु तकनीकों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक कृषि गतिविधियों को वाणिज्यिक उपक्रमों के रूप में नहीं अपनाया जाएगा, तब तक लाभकारी प्रतिफल प्राप्त करना मुश्किल होगा। श्री शाही ने जोर देकर कहा कि शोध निष्कर्षों का प्रभाव किसानों के खेतों में दिखाई देना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य टिकाऊ, जलवायु-अनुकूल कृषि को प्रोत्साहन देना है, जिसमें प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और नीतिगत सुधारों में रणनीतिक निवेश शामिल है। कृषि की इस उपलब्धियों और पहलों का संक्षिप्त विवरण किसानों के सशक्तिकरण, खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और स्थायी कृषि भविष्य को बढ़ावा देने के प्रति समर्पण को रेखांकित करता है।
इन सभी प्रयासों ने एक मजबूत कृषि क्षेत्र की नींव प्रदान की है जो भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकेगा और प्रदेश की निरधारती 1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में सहयोग कर सके। कृषि मंत्री ने अपने सम्बोधन में बताया की निकट भविष्य में गुणवत्ता युक्त बीज उत्पादन के लिए लखनऊ के आस पास सीड पार्क खोला जाएगा |
इसके अलावा, बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि ,और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसे सरकारी पहलुओं का उल्लेख विर्तुयल माध्यम से किया, जिन्होंने किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता और व्यापक फसल बीमा प्रदान कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बिहार सरकार ने "प्रति बूंद अधिक फसल" घटक के माध्यम से जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसे उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है।
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की तरफ से कृषि में विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों एवं उनसे हो रहे लाभ जो की प्रदेश की 1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में सहयोग करेगी के बारे में विस्तृत प्रेजेंटेशन डॉ के वी राजू , आर्थिक सलाहकार, मुख्य मंत्री, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया। इसके अलावा डॉ अवनीश अवस्थी, सलाहकार, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों की तरफ ध्यान आकृष्ट किया गया।
इस बैठक के नोडल अधिकारी और प्रसार शिक्षा के उप महानिदेशक डॉ. यू.एस. गौतम ने कार्यक्रम में सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और विभिन्न गतिविधियों को रेखांकित किया। कार्यक्रम में गोवेर्निंग बॉडी के सदस्यों के साथ-साथ डॉ. एस.के. सिंह, डीडीजी बागवानी और डॉ. पी.एस. बिर्थल भी शामिल हुए, जिन्होंने विभिन्न राज्यों में क्रियान्वित की जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईसीएआर संस्थानों के निदेशक और आईसीएआर-आईआई वी आर वाराणसी और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिक और अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे। तकनीकी सत्र के दौरान राज्य-विशिष्ट समस्याओं, अनुसंधान की आवश्यकताओं और विकासात्मक मुद्दों पर चर्चा की गई, और पिछले बैठक में निर्धारित मुद्दों पर कार्यवाही रिपोर्ट आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के निदेशक (कार्यकारी) और क्षेत्रीय समिति 4 के सदस्य सचिव डॉ. नागेंद्र राय द्वारा प्रस्तुत की गई और परिषद के प्रति आभार जताया। कार्यक्रम के अंत में, भारतीय गन्ना शोध संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन ने कार्यक्रम के लिए धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया ।