अम्बेडकर नगर :
पुलिस हिरासत मे हुई युवक की मौत मामले मे सीओ सिटी करेंगे जांच।।
दो टूक : अंबेडकर नगर जनपद के थाना सम्मानपुर में पुलिस हिरासत में आजमगढ़ के युवक जियाउद्दीन की मौत मामले में आठ पुलिसकर्मियोंं पर दर्ज मुकदमे नए सिरे से विवेचना अब सीओ सिटी करेंगे। माना जा रहा है कि सभी पुलिसकर्मियों की मुसीबत इससे बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सीजेएम ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट निरस्त करने के साथ ही जांच को अपूर्ण व दोषपूर्ण बताया है।
जैतपुर में हुई लूट के एक आरोपी का पता लगाने के लिए अंबेडकर नगर की स्वाट टीम ने आजमगढ़ जाकर पवई थाना क्षेत्र के हाजीपुर कुदरत गांव निवासी जियाउद्दीन (36) को 24 मार्च 2021 को हिरासत में ले लिया था। वहां से अंबेडकरनगर लाकर सम्मनपुर थाने मेंं रखा गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पीट-पीटकर उसे मार डाला। जबकि पुलिस कर्मियों का कहना था कि हार्टअटैक होने के कारण उसे जिला अस्पताल भर्ती कराया गया।
मामले के तूल पकड़ने पर आठ पुलिस कर्मियों के खिलाफ अकबरपुर थाने में हत्या व अपहरण का केस दर्ज हो गया। पुलिस ने इसमें आरोपियों के पक्ष में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। दिवंगत के भाई शहाबुद्दीन की आपत्ति पर सीजेएम सुधा यादव ने फाइनल रिपोर्ट को निरस्त कर दिया। सीजेएम के आदेश पर एसपी डॉ. कौस्तुभ ने विवेचना का जिम्मा सीओ सिटी देवेंद्र कुमार मौर्य को सौंप दिया। आरोपियों में से एक स्वाट टीम प्रभारी रहे इंस्पेक्टर देवेंद्र पाल सिंह का वाराणसी तबादला हो चुका है। सात सिपाहियों मेंं से अन्य की अलग-अलग थानोंं में तैनाती है। सीओ ने रविवार को कहा कि विवेचना मिली है। न्यायालय ने जिन बिंदुओं का जिक्र किया है। उस पर ध्यान दिया जाएगा। विवेचना पूरी होगी तो आगे की जानकारी दी जाएगी।
जियाउद्दीन के परिजनों ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट पर गंभीर सवाल खड़े किए। फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट और गवाह के संपूर्ण बयान को नजरअंदाज करने का आरोप सीजेएम कोर्ट में दाखिल की गई आपत्ति में लगाया गया। कहा कि पुलिस ने विवेचना करते समय न्याय को जैसे ताक पर रख दिया था। विवेचक पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि विवेचना पर कोर्ट ने भी कई तरह की आपत्ति जताई है।तीन वर्ष पहले पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में दिवंगत युवक के भाई शहाबुद्दीन ने कोर्ट में जो प्रतिवाद दाखिल किया, उसकी कॉपी सामने आई है। इसमें कई गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं।कहा गया कि विवेचक ने इमरजेंसी के चिकित्सक अनिल कुमार सिंह द्वारा दिए गए बयान को मनमाने ढंग से दर्ज किया है। भाई की मौत पर आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराने वाले वादी शहाबुद्दीन ने रविवार को कहा कि निष्पक्ष विवेचना तब होगी जब चिकित्सक को फिर बुलाकर वीडियोग्राफी के बीच बयान दर्ज हो। जियाउद्दीन के शरीर पर आई चोट को लेकर लाइव पूछताछ रिकॉर्डिंग के बीच चिकित्सक से हो।वादी ने आरोप लगाया कि उसके बयान को दृष्टीगत न रखते हुए मनमानी की गई। गांव के आफाक अहमद के स्वतंत्र बयान को भी विवेचक ने नजरअंदाज किया। फाइनल रिपोर्ट का विरोध करते हुए कहा कि फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट का अवलोकन नहीं किया गया। उसके तथ्य शामिल नहीं किए गए। पुलिस कह रही कि दिल का दौरा पड़ा, लेकिन किसी चिकित्सक ने ऐसा नहीं कहा। बिना चिकित्सक की राय के पुलिस कब से स्वास्थ्य मामलों की एक्सपर्ट हो गई।कहा कि उनके भाई की कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवाया जाए जिससे पता चल सके कि कहां कहां ले जाया गया और क्यों। शहाबुद्दीन ने कहा कि अब सीओ विवेचना शुरू कर रहे हैं तो उनके सामने पूरी मजबूती से बात रखी जाएगी, क्योंकि अब तो कोर्ट ने भी पुलिस विवेचना पर कई सवाल खड़े किए हैं।शहाबुद्दीन ने कहा कि इस पूरे मामले में विवेचक की भूमिका ठीक नहीं है। कोर्ट ने कई गंभीर टिप्पणी की है। इसे देखते हुए प्रशासन को विवेचक पर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसी मनमानी विवेचना करने वालों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। ऐसा न हुआ तो हम लोग कानूनी रास्ता अपनाएंगे। हमें कोर्ट पर ही पूरा विश्वास है। हम इस मनमानी विवेचना की जिम्मेदारी तय करने के लिए नए सिरे से कोर्ट जाएंगे। जब तक मनमाने ढंग से विवेचना करने वालों की जवाबदेही तय नहीं होगी तब तक इस तरह की मनमानी रोकी नहीं जा सकेगी।