आजमगढ़ :
दुर्वाषा धाम में संगम तट पर स्नानार्थियों का उमड़ा आस्था का सैलाब,आस्था की लगाई डुबकी।
◆ऋषि दुर्वाषा और महादेव की श्रद्धालुओं ने किया पूजन अर्चन, गरीबो को किया दान।।
।। सिद्धेश्वर पाण्डेय ।।
दो टूक : आजमगढ़ के फूलपुर तहसील मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर पौराणिक स्थल दुर्वाषा धाम लोगों की आस्था और पर्यटन का बड़ा केंद्र है। यहां तमसा-मंजूषा नदियों के संगम के एक छोर पर ऋषि दुर्वाषा का मंदिर तो दूसरी छोर पर प्राचीन शिव मंदिर है। कहा जाता है कि ऋषि दुर्वाषा की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवलिंग स्वत: प्रकट हुआ था। यहां श्रावण मास के अलावा कार्तिक पूर्णिमा पर तीन दिन का बड़ा मेला लगता है। श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं दिखता।
काशी और अयोध्या की दूरी समान---
यहां स्थित शिव मंदिर से जितनी दूरी अयोध्या की उतनी ही दूरी काशी की है। दो तीर्थस्थलों के बीच होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। काशी और अयोध्या दोनों की दूरी ट्रेन से 91 और 97 किमी है।
दो भागों में बंटा है धाम :
-फूलपुर तहसील के बनहर मय चक गजड़ी गांव में मंजूषा के एक छोर पर मंदिर में ऋषि दुर्वाषा की प्राचीन मंदिर स्थापित है, तो दूसरे छोर पर निजामाबाद तहसील के दुर्वाषा गांव मेें प्राचीन शिव मंदिर है, जहां मेला लगता है। मेलार्थी स्नान के बाद ऋषि की प्रतिमा का दर्शन-पूजन करते फिर मेले का आनंद लेते हैं।
बताते चले-
मान्यता है कि फूलपुर तहसील मुख्यालय से सात किमी दूर स्थित धाम के बारे में पुराणों में वर्णित मान्यताओं के अनुसार महर्षि दुर्वाषा तमसा-मंजूषा नदियों के संगम पर तपस्या के बाद धरती में समाहित हो गए थे। सृष्टि के निर्माण के समय ही अत्रि मुनि और अनुसुइया के तीन पुत्रों में दुर्वाषा , दत्तात्रेय और चंद्रमा का जन्म हुआ था। भगवान राम जनकपुर जाते समय दुर्वाषा होकर गए थे। बरदान के अनुसार शिव बिष्णु और ब्रम्हा के रूप में तीनों माता अनुसूया के पुत्र के रूप में कोख उतपन्न हुए थे ।
ऐसे पहुंंचे धाम तक:::
-वाराणसी से आने वाले जिला मुख्यालय से 18 किमी पहले मुहम्मदपुर उतरकर निजी साधन से फरिहां, सरायमीर, फूलपुर होते हुए जा सकते हैं। अयोध्या से आने वाले निजी साधन से कप्तानगंज उतरकर अहरौला होते हुए धाम तक पहुंचेंगे।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के साथ ही ट्रेनों से की जा सकती है ।
अयोध्या से दुर्वाषा धाम पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का सहारा लिया जा सकता है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से फुलवरिया उतरकर माहुल होते हुए 6 किमी फूलपुर पहुँचकर दुर्वाषा धाम पहुँच सकते हैं। वहीं ट्रेन से 97 किमी जौनपुर जनपद के शाहगंज जंक्शन पर उतरकर 14 किमी फूलपुर पहुँचकर दुर्वाषा धाम जाया जा सकता है। जनपद मुख्यालय से एक्सप्रेस ट्रेनों के साथ ही सवारी गाड़ी का प्रयोग फूलपुर तक के लिए उपलब्ध है। कुल दूरी लगभग 40 किमी है। फूलपुर से आटो रिक्सा से दुर्वाषा धाम पहुँच सकते हैं। काशी से ट्रेनों के साथ ही रोडवेज बसों से फूलपुर पहुँचकर दुर्वाषा धाम जाया जा सकता है। काशी से कई ट्रेनें शाहगंज जंक्शन तक आती हैं। काशी से शाहगंज जंक्शन की दूरी 91 किमी है। ट्रेन से यात्रा करने के लिए अयोध्या और काशी से लगभग समान दूरी तय करनी होगी।
युवक युवतियों से लेकर बुजुर्ग तक पहुँचते हैं दुर्वाषा धाम।
दुर्वाषा धाम की महत्त्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पर दुर्वाषा ऋषि के साथ ही शिवजी का दर्शन करने युवक युवतियों से लेकर बुजुर्ग तक पहुँचते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले में एक लाख के करीब श्रद्धालु पहुँचते हैं। बाकी समय में भी दिन भर लोग पूजा पाठ के साथ ही कड़ाही चढ़ाते हैं। इस साल 14 नवंबर को बटोर, 15 नवंबर को मुख्य नहान जबकि 16 और 17नवंबर को स्थानीय मेला रहता है।