अम्बेडकर नगर :
कटेहरी में कांटे की टक्कर में BJP ने सपा हराया।।
।। ए के चतुर्वेदी।।
दो टूक : उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव 2024 के नतीजों का दिन है। अम्बेडकरनगर जिले की कटेहरी सीट से सांसद लालजी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर है, जिनके सीट खाली करने की वजह से उपचुनाव हो रहा है। यहां उनकी पत्नी शोभावती वर्मा समाजवादी पार्टी की तरफ से चुनावी रण में उतरी थीं। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद पर दांव आजमाया है। दोनों कैंडिडेट्स में कांटे की टक्कर चली, जिसमें भाजपा की जीत हो गई है।
कटेहरी में 33 वर्ष बाद चुनावी जीत का कमल खिल गया है। इससे पहले वर्ष 1991 में इस सीट पर बीजेपी के अनिल तिवारी जीते थे। इसके बाद से पार्टी ने यहां कई प्रयोग किए लेकिन जीत दर्ज करने में सफलता नहीं मिल पाई। जिन धर्मराज के हाथों यहां पार्टी कई बार पराजित हुई। अब उन्हीं को प्रत्याशी बनाने पर पार्टी यहां हार का सिलसिला तोड़ पाने में सफल हुई।कटेहरी में भाजपा को तीन दशक से भी अधिक समय से जीत का इंतजार बना था। यूं तो यही हाल अकबरपुर विधानसभा सीट का भी है। लेकिन कटेहरी को सवर्ण दबदबे वाली सीट माना जाता है। इसके बाद भी यहां चुनाव दर चुनाव भाजपा के हिस्से हार आती रही। वर्ष 1991 में जब अकबरपुर से शिवसेना से पवन पांडेय विजयी होकर विधायक बने थे तो उसी चुनाव में कटेहरी से अनिल तिवारी जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। उन्होंने बीएसपी के रामदेव वर्मा को करीब सात हजार मतों से हराया था।1993 के विधानसभा चुनाव में रामदेव वर्मा ने बसपा के टिकट पर एकतरफा जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी के अनिल तिवारी को 40 हजार से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया। वर्ष 1996 में बसपा के धर्मराज ने बीजेपी से लड़ रहे अनिल तिवारी को 5764 मतों से पीछे छोड़ दिया। 2002 के सामान्य चुनाव में भाजपा ने यह सीट समता पार्टी को दे दी। उसके प्रत्याशी केके त्रिपाठी 13852 मतों के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गए।2007 के चुनाव में भी बीजेपी नहीं लड़ी। जनता दल यू के केके त्रिपाठी को 3532 मत मिले।2012 के चुनाव में भाजपा के रमाशंकर सिंह पराजित हुए। तो 2017 में भाजपा के अवधेश द्विवेदी करीब छह हजार वोटों से हार गए। 2022 में भाजपा ने यह सीट निषाद पार्टी के खाते में दे दी। निषाद पार्टी से भी अवधेश चुनाव लड़े लेकिन तब भी नहीं जीत पाए। अब तीन दशक बाद भाजपा ने धर्मराज निषाद पर भरोषा जताया। इस सीट पर कई सवर्ण दावेदार थे लेकिन पार्टी ने धर्मराज को ही महत्व दिया।बसपा सरकार में मंत्री रह चुके धर्मराज निषाद ने कटेहरी में पहली जीत बसपा के ही टिकट पर वर्ष 1996 में दर्ज की थी। वे पांच वर्ष बाद हुए चुनाव में फिर से बसपा के टिकट पर विधायक चुन लिए गए। 2007 में भी वह कटेहरी से विधायक बने लेकिन जीत का अंतर लगातार कम होता गया। इस पर बसपा ने उन्हें वर्ष 2012 के चुनाव में पड़ोसी जनपद जौनपुर की शाहगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया। यहां वे सपा के ललई यादव के हाथों पराजित होकर दूसरे स्थान पर रहे। 2017 के चुनाव में उन्हें अयोध्या जनपद की गोशाईगंज सीट पर बसपा ने मौका दिया। यहां भाजपा के खब्बू तिवारी जीते तो दूसरे पर सपा के अभय सिंह रहे। धर्मराज निषाद को तीसरे स्थान पर खिसक जाना पड़ा। इसके बाद धर्मराज ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। भाजपा ने उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में अकबरपुर से मौका दिया। वे सपा के रामअचल राजभर के हाथों पराजित होकर दूसरे स्थान पर रहे। अब उपचुनाव में वे फिर से कटेहरी उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रत्याशी बनाया गया जिसमें धर्मराज निषाद को 103137 मत प्राप्त हुए और शोभावती वर्मा को 69309 मत प्राप्त हुए। धर्मराज निषाद 33828 मत प्राप्त कर विजयी घोषित किए गए।