गुरुवार, 7 नवंबर 2024

मऊ : संतति संरक्षण संवर्धन के तपपर्व सूर्यषष्ठी पर आस्था का अलौकिक माहौल।||Mau : A supernatural atmosphere of faith on Suryashashthi, a festival of penance for the protection and promotion of progeny.||

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मऊ : 
संतति संरक्षण संवर्धन के तपपर्व सूर्यषष्ठी पर आस्था का अलौकिक माहौल।।
।। देवेन्द्र कुशवाहा ।।
दो टूक : कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए के साथ ही अन्य कर्णप्रिय छठ गीतों से पूरा वातावरण आस्था का अद्भुत नजारा मन को भक्ति और आस्था की तरफ खीचने लगा।।
विस्तार
 मऊ जनपद के कोपागंज कस्बा के थाने के पीछे स्थित पोखरे पर अदभूत नजारा बना रहा । इसके साथ ही सहरोज स्थित तमसा नदी  देवकली, फतहपुर ताल नरजा , पुराघाट  टडियाव , वार्ड नंबर एक आदि पोखरों पर भीड़ उमड़ी रही । व्रती महिलाओं में वेदी  पूजन कर सुपली में केला नारियल सेब अमरस शरीफा अनन्नास सिंघाड़ा आंवला आदि समस्त रितु फल के अलावा ठेकुआ खस्ता मिष्ठान आदि रखकर भगवान भास्कर को अर्ध निवेदित कर सुमंगल कामना किया।

डाला छठी के त्यौहार को लेकर जहाँ पूरे दिन हर्षोलास का माहौल बना रहा । महिलाए इस पर्व को लेकर सुबह से शाम तक पूरे विधि विधान से तैयारी में लग  डूबते सूर्य को अर्ध्य् देने के लिए तालाबो घाटो पर पहुचती रही । वही अन्य महिलाओ के देवी छठी मइया के भक्ति गीतों से पूरा क्षेत्र गूँजता रहा ।
इनसेट
भगवान राम ने ऋषि अगस्त के कहने पर रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए सूर्यषष्ठी पूजा किया था ।उन्होंने सूर्य के छह नामो का जाप किया । राशिमते नमः  सम्रद्धते नमः देवासुर नमस्कृताम नमः विवस्वेत नमः भाष्कराय नमः भुनेश्वराय नमः के जाप के बाद ही रावण का वध कर सके । सूर्य षष्ठी व्रत रामायण काल से ही प्रचलित है । व्रत से सबकी मनोकामना की सिद्वी होती है ।
  विभिन्न मान्यताएं-
पहली मान्यता 
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार प्रियव्रत सबस पहले मनु माने जाते हैं। जिनकी कोई संतान नहीं थी। वो अपनी इस परेशानी को लेकर कश्यप ऋषि के पास गए उनसे संतान प्राप्ति का उपाय पूछा। महर्षि ने उन्हें पुत्रेष्ठि यज्ञ करने को कहा। जिसके परिणाम स्वरूप उनकी पत्नी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन यह पुत्र मृत पैदा हुआ।
तब देव लोक से ब्रह्मा की मानस पुत्री प्रगट हुईं जिन्होंने अपने स्पर्श से मरे हुए बालक को जीवित कर दिया। तब महाराज प्रियव्रत ने अनेक प्रकार से देवी की स्तुति की। देवी ने कहा कि आप ऐसी व्यवस्था करें कि पृथ्वी पर सदा हमारी पूजा हो। माना जाता है इसी घटना के बाद राजा ने अपने राज्य में छठ व्रत की शुरुआत की।
दूसरी मान्यता 
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में जब महाराज पांडु अपनी पत्नी कुंती के साथ किंदम ऋषि की हत्या का प्रायश्चित करने के लिए वन में भटक रहे थे। तब उन दिनों उन्हें पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महारानी कुंती संग सरस्वती नदी में सूर्य की पूजा की। इससे कुंती पुत्रवती हुई। जिस कारण संतान प्राप्ति के लिए छठ पर्व का बड़ा महत्व है
अर्घ्य के सामानों का महत्व:-सूप:- अर्ध्य में नए बांस से बनी सूप व डाला का प्रयोग किया जाता है। सूप से वंश में वृद्धि होती है और वंश की रक्षा भी।  ईख:- ईख आरोग्यता का द्दोतक है। ठेकुआ:- ठेकुआ समृद्धि का द्दोतक है। मौसमी फल:- मौसम के फल ,फल प्राप्ति के द्दोतक हैं।
इनसेट नगर के थाने के पीछे स्थित धार्मिक व ऐतिहासिक पोखरे  व घाट की साफ सफाई  के लिए  कोपागंज  नगरपंचायत अध्यक्ष अरशद रेयाज़  ने नगरपंचायत  कर्मचारीयों  से पूरा कर लिया गया था 
 तथा प्रकाश की व्यवस्था ग्राम पंचायत व शिव परिवार कावरिया संघ ने किया  ।  शिव परिवार के गुडडू यादव,यशवंत जयसवाल   श्रीराम  जयसवाल व बुदिराम राजभर व अन्य कार्यकर्ताओ  ने वकायदे मंच लगाकर भीड़ को नियंत्रण करने के अलावा व्रती महिलाओ को अर्ध के लिए दूध , अगरबती, प्रसाद आदि की मुकम्मल व्यवस्था की गयी थी ।
सरोवर के चारो सुरक्षा ब्यवस्था रही मुस्तैद।
 सुरक्षा के बाबत पोखरे के चारो ओर कोपागंज थाना अध्यक्ष नवल किशोर सिंह    व कस्बा    ईचाज  सतीश कुमार यादव    , यस आई कैलाश  जयसवाल , यस आई  हीला लाल ,    यस आई  सपना  महिला   व पुरुष सिपाहियों के साथ सुरक्षा कि कमान सम्भाले रहे।