गोण्डा- जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने निराश्रित गोवंशों के संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की है। शहरी क्षेत्र में सड़कों पर बेसहारा गोवंश को छोड़ने की समस्या पर कड़ा रुख अपनाते हुए उन्होंने ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं। यह कदम गोवंशों को सुरक्षित गो-आश्रय स्थलों में पहुंचाने और सड़कों पर आवारा पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है। नगरीय निकायों को अपने स्तर पर इसके लिए आवश्यक प्रावधान करने के निर्देश दिए गए हैं।जिलाधिकारी के नेतृत्व में जनपद के सभी नगर पालिका और नगर पंचायतों में गोवंश संरक्षण अभियान के तहत अब तक कुल 474 गोवंशों को सुरक्षित आश्रय स्थलों में पहुंचाया जा चुका है। जिलाधिकारी ने सभी अधिशासी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अपने मवेशियों को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने वाले पशुपालकों की पहचान कर उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, ऐसे मामलों पर पूरी निगरानी रखने के लिए संबंधित अधिकारियों और नगर निकायों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि "निराश्रित गोवंशों का सड़कों पर छोड़ना न केवल पशुओं के साथ अन्याय है बल्कि यह जनसुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन जाता है।" उन्होंने सभी नगर निकायों को निर्देश दिए कि सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं को जल्द से जल्द गो-आश्रय स्थलों में संरक्षित किया जाए और उनके चारे, पानी व चिकित्सा सुविधाओं का पूरा प्रबंध सुनिश्चित किया जाए।
"जिलाधिकारी की पहल"
जुर्माना व्यवस्था: अपने मवेशियों को बेसहारा छोड़ने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
गोवंश संरक्षण अभियान: अभी तक जनपद के कुल 10 नगरीय निकायों में 474 गोवंश सुरक्षित किए गए।
सड़कों की सुरक्षा: आवारा पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में कड़ा कदम।
संपूर्ण निगरानी: संबंधित अधिकारियों को सख्त कार्रवाई के निर्देश।
जिला प्रशासन के इस अभियान में नगर पालिका परिषद गोण्डा सबसे आगे रही, जहां 79 गोवंशों को संरक्षित किया गया। इसके अलावा कर्नलगंज, नवाबगंज, तरबगंज और अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में निराश्रित पशुओं को गो-आश्रय स्थलों में भेजा गया। जिलाधिकारी ने सभी नगर निकायों से गोवंश संरक्षण अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करने और स्थानीय जनता को जागरूक करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “इस अभियान का उद्देश्य केवल जुर्माना लगाना नहीं है, बल्कि लोगों को यह समझाना है कि अपने मवेशियों की जिम्मेदारी से बचना समाज के लिए घातक है।”