अपने संदेश में बाबाजी ने बताया कि गुरु की आज्ञा का पालन करना ही गुरु भक्ति होती है। गुरु भक्ति अगर करनी है, तो गुरु मुखता लानी होगी। चाहे रैन में हो, बैन में हो या सैन में हो, गुरु की आज्ञा का करो पालन। गुरु के बताए रास्ते पर चलते रहोगे, तो तीनों लोकों में किसी का भय नहीं रह जाएगा। गुरुभक्ति की बहुत बड़ी महिमा बताई गई। बिगड़े हुए काम भी गुरु की दया से संभल जाते हैं। इस हाड़-मांस के शरीर का नाम गुरु नहीं होता। गुरु एक शक्ति होती है, पॉवर होती है, जो हमेशा जीवों की संभाल करते रहते हैं।मनुष्य की भूलने की आदत होती है। अपने इस शरीर के द्वारा ही किए गए कामों को समय बीतने पर, आदमी भूल जाता है।
अगर खान-पान गड़बड़ हो जाए, जैसे मीठा ज्यादा खाने लग गए, तो पढ़ते-पढ़ते ही भूल जाते हैं। इस भूल और भ्रम के देश में, आप गुरु के वचन, आदेश भूल जाते हो। गुरु जो बोल दें, उसको गुरु मंत्र मान लेना चाहिए। पुराने नामदानियों को स्वामी जी महाराज रोज सुमिरन, ध्यान और भजन करने का आदेश करके गए थे।
उन्होंने कहा की जब तक सुमिरन, ध्यान और भजन निरन्तर नहीं करोगे, तब तक आपको सुकून, शांति नहीं मिलेगी। आज से संकल्प बना लो कि हमें रोज सुमिरन, ध्यान और भजन करना ही है। तभी आप सन्त मत को, गुरु को, उस प्रभु को समझ पाओगे। नहीं तो, इसी मृत्युलोक में भटकते रह जाओगे। मृगतृष्णा की तरह से, ये जो घर की समस्याएं बनीं हुईं हैं, ये जल्दी दूर नहीं होंगी। सन्त मत का रास्ता सीधा, सच्चा और सरल है। यदि विश्वास के साथ इसमें लग गए तो आपके कष्टों को मिटाने में गुरु देर नहीं करेंगे।
आयोजन मे क्षेत्र के हजारों अनुयाई मौके पर मौजूद रहे। वही द्वार के बाहर भारी संख्या मे छोटे बड़े वाहन खडे रहे। जाम व सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर हर तरफ इटियाथोक थाना की पुलिस टीम मौजूद रही।। गोण्डा से प्रदीप पांडेय की रिपोर्ट।।