बुधवार, 4 दिसंबर 2024

लखनऊ : संसार का अंतिम विश्व युद्ध भाषा पर ही लड़ा जाएगा : प्रो०सर्वेश सिंह ||Lucknow : The last world war will be fought on language only: Prof. Sarvesh Singh.||

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लखनऊ : 
संसार का अंतिम विश्व युद्ध भाषा पर ही लड़ा जाएगा : प्रो०सर्वेश सिंह ।।
◆हिंदी भाषा का महत्व प्रसार एवं प्रासंगिकता पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन।
दो टूक : राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित नवयुग कन्या महाविद्यालय के हिंदी विभाग की नवज्योतिका संस्था एवं उ०प्र० भाषा संस्थान लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई इस संगोष्ठी का विषय था हिंदी भाषा का महत्व प्रसार एवं प्रासंगिकता इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर सर्वेश सिंह ,बी बी ए यू विश्वविद्यालय विशिष्ट अतिथि डॉ०अजिता  करामत हुसैन गर्ल्स पीजी कॉलेज, महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो० मंजुला उपाध्याय हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रो० मंजुला यादव ,डॉ०अपूर्वा अवस्थी, श्रीमती अंकिता पांडे एवं डॉ०मेघना यादव उपस्थित रही ।कार्यक्रम का प्रारंभ  दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ अतिथियों का स्वागत पुष्प उत्तरीय और स्मृति चिन्ह द्वारा किया गया ।
विस्तार
हिंदी भाषा का महत्व प्रसार एवं प्रासंगिकता पर आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो० सर्वेश सिंह ने कहा जब हम भाषा की बात करते हैं तो रामचरित मानस की रचना के समय तुलसीदास ने प्रारंभ में संस्कृत में लिखा और मंगलाचरण के बाद अवधी में वे लिखते समय 'भाषा बद्व करब मैं सोई ' कहकर भदेस शब्द का प्रयोग किया। हिंदी भाषा की प्रकृति का प्रारंभ यहीं से होता है। हिंदी में आज कल संस्कृत के शब्द लुप्त होते जा रहे हैं जो भाषा की दृष्टि से उचित नहीं है। संसार का अंतिम विश्व युद्ध भाषा पर ही लड़ा जाएगा और जीतेगा वही जिसकी भाषा में संस्कार होंगे , संस्कृति होगी ।इसलिए हमें अपनी भाषा को संरक्षित करना चाहिए ।उन्होंने उतरकांड और गीता के 63वें श्लोक का भी उदाहरण देते हुए  भाषा  को उद्धृत किया।विशिष्ट वक्ता डॉ०अजीता मिश्रा ने कहा कि भाषा वह साधन है जिसके द्वारा सृजन भी होता है और संहार भी।भाषा वाणी की शक्ति है। हमारी मातृभाषा हमारे कण- कण में व्याप्त है। आज विश्व की 7हजार भाषाओं में हिंदी तीसरे स्थान पर है।8 सौ करोड़ जनसंख्या में 8 प्रतिशत हिंदी भाषी लोग हैं। लेकिन हम हिंदी बोलने में संकोच करतें हैं।आज विदेशों  में हिंदी के लिए आई सी सी आर कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य है जिसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में प्रारंभ हुई है।
 प्राचार्या प्रो०मंजुला उपाध्याय ने कहा कि हिंदी भाषा का भविष्य उज्जवल है।हम अपनी अभिव्यक्ति हिंदी में सहज रूप से कर सकते हैं। हिंदी की वैज्ञानिकता सर्व ग्राह है।
भाषा संस्थान की डॉ० रश्मि शील ने कहा भाषा संस्थान भाषा के संवर्धन के लिए कार्य कर रहा है। जिससे विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। हिंदी आदिकाल से लेकर आधुनिक युग तक हमारे राष्ट्र की भाषा रही है। आज तकनीकी युग में भी हिंदी के हजारों ऐप मौजूद हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ० अपूर्वा अवस्थी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विभाग की अध्यक्ष प्रो० मंजुला यादव ने दिया।
 इस अवसर पर सभी छात्राएं एवं महाविद्यालय की सभी प्रवक्ताएं उपस्थिति रही।