रविवार, 5 जनवरी 2025

लखनऊ :पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की हत्या, प्रशासन और माफियाओं का गठजोड़।।||Lucknow: Murder of journalist Mukesh Chandrakar, nexus between administration and mafia.||

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लखनऊ :
पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की हत्या, प्रशासन और माफियाओं का गठजोड़।।
।।डी एस शास्त्री।।
दो टूक : छत्तीसगढ़ मे पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या से लोकतंत्र रो रहा है और अंधे एसपी, कलेक्टर को निलंबित करने और सीबीआई से जांच कराने की मांग देश के लोक तंत्र के प्रहरी कर रहे है। राजनेताओं-अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का उदाहरण है पत्रकार की हत्या।
बताते चले कि छत्तीसगढ़ के बस्तर के युवा, जुझारू और जन पक्षधर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की बर्बर हत्या की कड़ी राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का उदाहरण है और बीजापुर के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को निलंबित करने और इस हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने की भारत की जनता मांग कर रही है। देश के तमाम घटक संगठनों ने मुकेश चंद्राकर की हत्या को उस जन पत्रकारिता पर हमला बताया है। जिसने हमेशा बस्तर में माओवादियों को कुचलने के नाम पर फर्जी मामलों में आदिवासियों की गिरफ्तारियों से लेकर फर्जी मुठभेड़ तक के मामलों को, आदिवासियों के मानवाधिकारों के मुद्दों को और प्रदेश की प्राकृतिक संपदा को कॉरपोरेटों को सौंपे जाने के लिए की जा रही साजिशों को प्रमुखता से उठाया है। हालांकि इस घटना के तात्कालिक कारण के रूप में मुकेश की वह रिपोर्टिंग सामने आई है, जिसमें अरबों की लागत से बन रहे गंगालूर से लेकर मिरतुल तक के सड़क निर्माण की घटिया गुणवत्ता को उजागर किया गया था लेकिन सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी आज तक इसके खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई है। यह भ्रष्टाचारियों और इसे दबाने-छुपाने के खेल में लगे राजनेताओं और प्रशासन की मिलीभगत को उजागर करता है। इस बर्बर हत्याकांड में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनका संबंध पावर फुल लोग से है जो छुपा हुआ नहीं है और हत्यारों का राजनैतिक गमछे बदलकर अवैध तरीकों से पैसा बनाना भी सबकी नजरों में है। इसलिए सीबीआई जांच के जरिए  इस पूरे माफिया गिरोह और उनके आकाओं को बेनकाब करना जरूरी है। आजादी के कई सालो बाद भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक भी प्रभावशाली कानून बनाने में सरकारें विफल रही है पत्रकारों को सुरक्षा देने में कोई दिलचस्पी नही है जनता के लिए पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को डराना-धमकाना आम बात है और अब नौबत माफियाओं द्वारा पत्रकारों की हत्या तक पहुंच गई है।
पीजीआई प्रेस क्लाब ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पीजीआई प्रेस क्लाब ने दिवंगत पत्रकार मुकेश चंद्राकर को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना का इजहार किया है। लोकतंत्र के प्रहरी पत्रकार की रक्षा के लिए पीजीआई प्रेस क्लाब हमेशा आवाज उठाता रहेगा।