रविवार, 26 जनवरी 2025

लखनऊ :अगवा कर डिजिटल लूट करने वाले तीन लुटेरे गिरफ्तार भेजे गए जेल।||Lucknow:Three robbers who kidnapped and looted digital money have been arrested and sent to jail.||

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लखनऊ :
अगवा कर डिजिटल लूट करने वाले तीन लुटेरे गिरफ्तार भेजे गए जेल।
दो टूक : लखनऊ के थाना पीजीआई क्षेत्र वृन्दावन योजना मे अधेड़ को अगवा कर डिजिटल लूट करने वाले शातिर तीन लुटेरों को पुलिस टीम ने गिरफ्तार कर रविवार को जेल भेज दिया है। पुलिस ने उनके पास से घटना में प्रयुक्त एक कार और सात मोबाइल फोन, बारह हजार पांच सौ रुपये नकद बरामद किया है।
विस्तार :
DCP ईस्ट शशांक सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि थाना पीजीआई क्षेत्र वृंदावन योजना में बीती गुरुवार देर शाम तीन अज्ञात बदमाशों ने शैलेन्द्र कुमार मिश्र (32) को अगवा कर मोबाइल से आंनलाइन 47,500 रुपये ट्रांसफर करवा लेने के मामले में पुलिस टीम ने घटना की छानबीन एवं जांच पड़ताल के दौरान मुखबिर की सूचना पर स्थानीय थाना क्षेत्र डिफेंस एक्सपो मैदान वृन्दावन योजना से शनिवार की रात तीन आरोपियों को दबोच लिया।  पुलिस ने उनके पास से घटना में प्रयुक्त बिना नम्बर प्लेट की एक कार,सात मोबाइल फोन,बारह हजार आठ सौ रुपये नकद एक एटीएम कार्ड, डीएल बरामद किया हैं। आरोपियों को पकड़ने वाली पुलिस टीम को दस हजार का इनाम देने की घोषणा की जा रही हैं। 
पूछताछ में आरोपियों ने अपने नाम अनुराग सिंह निवासी सुभाष नगर तेलीबाग व मूल पता जनपद गोंडा, प्रिंस सिंह निवासी भवानीगढ़ थाना जामो जनपद अमेठी व हाल पता एकता नगर कल्ली पश्चिम और अभिषेक उर्फ रितिक निवासी बिहार जनपद वैशाली वह हाल पता एकता नगर कल्ली पश्चिम पीजीआई लखनऊ बताया हैं।
लत लगा ऐसी की बन गए डिजिटल लुटेरे।
इंस्पेक्टर पीजीआई रवि शंकर त्रिपाठी ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों में प्रिंस और अभिषेक उर्फ रितिक एकता नगर कॉलोनी में किराए पर रहते हैं और BBA की पढ़ाई कर रहे हैं। दोनों अनुराग सिंह की NEXON कार से वारदात को अंजाम देते थे।
इनके पकड़े जाने से एक घटना सुशांत गोल्फ सिटी और पीजीआई की घटना का खुलासा हुआ हैं। तीनों अपना शौक पूरा करने के लिए रात में राहगीरों को जबरन कार में बैठकर उनकी पिटाई करते। फिर धमकाने के बाद ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करवा लेते।
जन सेवा केंद्र पर करवाते थे ट्रांसफर।
इस्पेक्टर रविशंकर त्रिपाठी ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि तीनों ऑनलाइन रुपया अपने किसी परिचित या रिश्तेदार के अलावा जन सेवा केंद्र पर भी ट्रांसफर करवा लेते थे। खात धारकों को बताये कि रुपए उनके परिचित ने भेजे हैं। इससे उनपर कोई शक नहीं करता था।