शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

लखनऊ :अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर वेबिनार का हुआ आयोजन,छात्राओं मे रही उत्सुकता।।||Lucknow: Webinar was organized on International Mother Language Day, students were enthusiastic.||

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लखनऊ :
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर वेबिनार का हुआ आयोजन,छात्राओं मे रही उत्सुकता।।
दो टूक : लखनऊ के राजेन्द्र नगर मे स्थित
नवयुग कन्या महाविद्यालय में शुक्रवार को
भारतीय भाषाओं का संवर्धन  और मातृभाषा विषयक एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता मनोज भावुक, भोजपुरी फिल्म समीक्षक, संपादक एवं प्रो प्रणव मिश्रा हिंदी विभाग,बी एस एन वी कालेज हिंदी समिति सलाहकार महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो मंजुला यादव,प्रो अमिता रानी सिंह,डा अपूर्वा अवस्थी, श्रीमती अंकिता पांडे,डा मेघना यादव उपस्थित रहीं।
विस्तार
कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए श्रीमती अंकिता पांडे ने कहा कि 21फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।इसका प्रारंभ 1999मे यूनेस्को द्वारा किया गया था।भारत में सन् 2000से  प्रारंभ हुआ । जिसका उद्देश्य हिंदी के साथ मातृभाषाओं का संवर्धन  और संरक्षण किया जाय।
विशिष्ट वक्ता प्रो प्रणव मिश्रा न कहा   कि सभी भाषाएं जनभाषा भी हैं जनभाषा बनने के लिए उसका जनता के हृदय के पास होना चाहिए। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा था कि जब तक हर भारतीय अपनी भाषा का प्रयोग नहीं करेगा ,तब तक वह विदेशी भाषा का मोहताज रहेगा।भारत तभी अखंड है क्योंकि यहां सभी भाषाएं जीवित हैं। आज हिंदी के विविध स्वरुप दिख रहे हैं । 2011 की जनगणना के अनुसार 1369 भाषाएं हैं।121भाषा बोलने वालों की संख्या 10हजार है।96प्रतिशत आबादी इन भाषाओं का प्रतिनिधित्व करती है। आज बहुत सी भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं। जब किसी भाषा के समुदाय के  वरिष्ठ व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो वह भाषा समाप्त हो जाती है। भाषाओं के विकास के लिए सरकार ने त्रिभाषा सूत्र भी लागू किया था।
मुख्य वक्ता श्री मनोज भावुक ने कहा कि जब तक हम अपनी बोली और भाषा को दिल से नहीं अपनाएंगे तब तक हमारे आंगन की तुलसी का पौधा सूखा ही रह  जाएगा।हमें अपनी युवा पीढ़ी को मातृभाषा से जोड़ना होगा रूचि जागृत करनी होगी।जब तक मातृभाषा बोलेंगे नहीं, लिखेंगे नहीं तब तक जुड़ाव नहीं होगा। आज अधिकांश युवा अंग्रेजी बोलने में अपनी ऊर्जा और धन खर्च कर रहे हैं जबकि  अन्य समृद्ध देश अपनी मातृभाषा में ही कार्य कर रहे हैं।
मातृभाषा हमें संस्कार, धरोहर और विरासत देती है। मातृभाषा में लोकगीत, लोक-संस्कृति लोक संस्कार देती है। उन्होंने बताया कि वे एक पत्रिका अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर महिला कथा अंक निकाल रहें हैं जिसमें 100महिला कथाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि अपनी मातृभाषा में पढ़ाई की जाय। सभी भाषाएं समृद्ध है। वर्तमान समय में अनुवाद के द्वारा भी बहुत सी भाषाओं को पढ़ने का अवसर मिलता है। अगर हम विकसित भारत 2047की बात कर सकते हैं तो हमें अपनी संस्कृति और भाषाओं को भी मजबूत करना होगा। अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो मंजुला यादव ने दिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय की सभी छात्राएं और प्रवक्ताएं उपस्थित रहीं। एवं अन्य पत्रकार समाज सेवी भी उपस्थित रहे।