शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

लखनऊ :मोबाइल हैक कर खाते से रुपए उड़ाने वाले तीन शातिर साइबर ठग गिरफ्तार।।||Lucknow:Three smart cyber thugs arrested for hacking mobile phones and stealing money from accounts.||

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लखनऊ :
मोबाइल हैक कर खाते से रुपए उड़ाने वाले तीन शातिर साइबर ठग गिरफ्तार।।
◆ पुलिस ने देवघर झारखंड से साइबर अपराधियों गिरफ्तार कर लखनऊ लायी
दो टूक : राजधानी लखनऊ पुलिस टीम ने 
देवघर, झारखंड से तीन शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर लखनऊ लेकर आयी। साइबर ठगों के पास 11 स्मार्टफोन और क्रेटा कार बरामद किया है। शातिर
साइबर ठगों का नया जाल है  व्हॉट्सऐप पर भेजते थे फर्जी APK फाइल, डाउनलोड करते ही फोन हैक कर लेते है पीड़ित के बैंक अकाउंट से आधार नंबर के जरिए UPI/नेट बैंकिंग एक्सेस कर खाते से पैस निकाल लेते है और ठगी के पैसे तुरंत फर्जी खातों में ट्रांसफर कर, नजदीकी ATM से कैश निकालते लेते है।
विस्तार:
इस्पेक्टर संजीव कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ की साइबर क्राइम सेल और थाना वजीरगंज पुलिस की संयुक्त टीम ने एक बड़े साइबर ठगी गिरोह के तीन ठगो को गिरफ्तार कर भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह के 03 शातिर अपराधियों को झारखंड के देवघर जिले के मार्गोमुंडा क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है।
जिनका नाम रियाज़ आलम,उल्फत अंसारी ,
नियाज़ अन्सारी है । ये ठग व्हॉट्सऐप के जरिए फर्जी APK फाइल/लिंक भेजकर लोगों के मोबाइल फोन हैक कर लेते थे और फिर उनके बैंक अकाउंट से लाखों रुपये निकाल लेते थे। गिरफ्तार अपराधियों के पास से 11 स्मार्टफोन, कई सिम कार्ड, ई-सिम और एक सफेद रंग की क्रेटा कार बरामद की गई है।
 कैसे देते थे वारदात को अंजाम ?
गिरोह के सदस्य साइबर ठगी को अंजाम देने के लिए बहुत ही सुनियोजित तरीके से काम करते थे। ये ठग प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम कुसुम योजना जैसी सरकारी योजनाओं के नाम पर व्हॉट्सऐप पर एक APK फाइल भेजते थे। जब कोई व्यक्ति इस फाइल को डाउनलोड करता, तो उसका फोन पूरी तरह हैक हो जाता था।
फोन हैक होने के बाद, पीड़ित के मोबाइल से आने वाले सभी मैसेज ठगों के मोबाइल नंबर पर फॉरवर्ड हो जाते थे। इसके जरिए वे पीड़ित के बैंक खाते की यूपीआई आईडी, नेट बैंकिंग डिटेल्स और ओटीपी तक पहुंच बना लेते थे।
इसके बाद, अपराधी पीड़ित का आधार कार्ड एम-आधार ऐप और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से डाउनलोड कर लेते थे। कुछ बैंकों (जैसे कैनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, उज्जीवन बैंक, फिनकेयर बैंक, बंधन बैंक और आईसीआईसीआई बैंक) में आधार नंबर के माध्यम से यूपीआई और नेट बैंकिंग लॉगिन संभव होता है। इस सुविधा का फायदा उठाकर ठग पीड़ित के बैंक अकाउंट में घुस जाते थे और वहां से पैसे अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। ठगी के बाद, अपराधी तुरंत पास के एटीएम से पैसे निकाल लेते थे और रकम आपस में बांट लेते थे ताकि उन तक पहुंच पाना मुश्किल हो।
◆10 वीं फेल साइबर अपराध में माहिर।
तीनों आरोपी 10वीं फेल होने के बावजूद साइबर अपराध में माहिर थे और तकनीकी ज्ञान का दुरुपयोग कर रहे थे। पुलिस जांच में सामने आया कि इनके खिलाफ झारखंड समेत कई राज्यों में शिकायतें दर्ज हैं, और अन्य राज्यों की पुलिस से संपर्क कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
अनावरित अभियोग का विवरण-
01. मु0अ0सं0 21/2025 धारा 318/338/238/111(2) बीएनएस व 66डी आईटी एक्ट थाना वजीरगंज लखनऊ।
आपराधिक इतिहास
01. मु0अ0सं0 71/2020, धारा 9/420/467/468/471/120 (B)/34 आईपीसी व 66(B)/66(C)/66(D)/
84(C) आईटी एक्ट, साईबर क्राइम थाना देवघर, झारखण्ड
अभियुक्तों के विरूद्ध विभिन्न राज्यों में शिकायत दर्ज हैं। जिनसे सम्पर्क कर अग्रिम कार्यवाही की जा रही हैं।
पुलिस की अपीलः सावधान रहें, सतर्क रहें!
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि अज्ञात नंबरों से आने वाले व्हॉट्सऐप मैसेज और APK फाइल/लिंक को बिना जांचे-परखे डाउनलोड न करें। किसी भी सरकारी योजना की जानकारी के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइटों पर ही भरोसा करें। अगर किसी को इस तरह की ठगी का शिकार होने का संदेह हो, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी पुलिस स्टेशन पर संपर्क करें।
गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम-
प्र०नि० संजीव कुमार, थाना वज़ीरगंज, उ०नि० प्रशान्त वर्मा, प्रभारी साईबर क्राइम सेल हजरतगंज, मु०आ० संतोष गौतम, साईबर क्राइम सेल, मु०आ० अखिलेश पटेल, साईबर क्राइम सेल, आ० जय प्रकाश यादव, साईबर क्राइम सेल, आ० आशीष सिंह, साईबर क्राइम सेल, आ० अविनाश वर्मा, साईबर क्राइम सेल, आ० अमित तिवारी, साईबर क्राइम सेल शामिल रहे।