अम्बेडकर नगर :
आगामी दिनों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की आशंका।
◆रोगों से उपचार हेतु सभी संबंधित विभाग समन्वय कर प्रभावी कार्य करे : डी एम।।
।। ए के चतुर्वेदी ।।
दो टूक : अंबेडकर नगर जिलाधिकारी अविनाश सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में “डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स” की बैठक संपन्न हुई। बैठक में गर्मी के प्रभाव और उसके कारण उत्पन्न होने वाले रोगों के प्रबंधन एवं प्रभावी तैयारी के संबंध में संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई तथा आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने आगामी दिनों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की आशंका के दृष्टिगत उष्ण मौसम से संबंधित रोगों (हीट रिलेटेड इलनेसेज) से बचाव एवं उपचार हेतु सभी संबंधित विभागों को समन्वय स्थापित करते हुए प्रभावी कार्य करने के निर्देश दिए। बैठक में डिप्टी सीएमओ डॉक्टर आशुतोष ने विभागीय गतिविधियों की जानकारी दी। जिलाधिकारी ने सभी विभागों को अपने-अपने विभागीय दायित्वों का सम्यक निर्वहन करने तथा हीट वेब से बचाव, सावधानियों एवं उपचार का व्यापक प्रचार–प्रसार करने एवं लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने चिकित्सा विभाग को सभी चिकित्सालयों में पेयजल की उपलब्धता, शीतलक उपकरणों की निरंतर क्रियाशीलता, आवश्यक औषधियों, इंट्रावीनस फ्लूडस, आइसपैक्स, ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट इत्यादि की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता, हीट वेव मरीजों के आने पर त्वरित कूलिंग स्ट्रैटेजीज की व्यवस्था आदि सहित आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता एवं क्रियाशीलता सुनिश्चित रखने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर डिप्टी सीएमओ डॉक्टर आशुतोष में हीट वेव से बचाव/ सावधानियों एवं उपचार के संबंध में विस्तृत जानकारी दी.....
◆हीट वेव : क्या करें-क्या न करें।
हीट वेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है, तत्काल उचित उपचार उपलब्ध ना होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। हीट वेव के प्रभावों को कम करने के लिए निम्न तथ्यों पर ध्यान देना चाहिये।
◆क्या करें-सावधान रहें।
हीट वेव लू के सम्बन्ध में प्रचार माध्यमों से जारी की जा रही चेतावनी पर ध्यान दें।
हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट क्रैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सरदर्द, उबकाई, पसीना आना, मूर्छा आदि को पहचानें।
कमजोरी अथवा मूर्छा जैसी स्थिति का अनुभव होने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह लें।
"हाइड्रेटेड रहें (शरीर में जल की कमी से बचाव)
अधिक से अधिक पानी पिये, यदि प्यास न लगी हो तब भी।
यात्रा करते समय पीने का पानी अपने साथ अवश्य ले जाएं।
ओ०आर०एस०, घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड़), नीबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें, जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके।
जल की अधिक मात्रा वाले मौसमी फल एवं सब्जियों का प्रयोग करें यथा तरबूजा, खरबूज, संतरे, अंगूर, अन्नास, खीरा, ककड़ी, सलाद पत्ता (लेट्यूस) का सेवन करें।
◆शरीर को ढक कर रखें।
हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें।
धूप के चश्में, छाता, टोपी, व चप्पल का प्रयोग करें।
अगर आप खुले में कार्य करते है तो सिर, चेहरा, हाथ पैरों को गीले कपड़े से ढके रहे तथा छाते का प्रयोग करें।
यथासंभव अधिक से अधिक अवधि के लिए घर कार्यालय इत्यादि के अंदर रहे।
उचित वायु संचरण वाले शीतल स्थानों पर रहें।
सूर्य की सीधी रोशनी तथा ऊष्ण हवा को रोकने हेतु उचित प्रबंध करें अपने घरों को ठंडा रखें, दिन में खिड़कियां, पर्दे तथा दरवाजे बंद रखें विशेषकर घर तथा कार्यालय के उन क्षेत्रों में जहाँ सूरज की सीधी रौशनी पड़ती हो। शाम / रात के समय घर तथा कमरों को ठण्डा करने हेतु इन्हें खोल दें।
घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ाएं ।
पंखे व गीले कपड़ों का उपयोग करें।
जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें तथा उन्हें पर्याप्त पानी पीने को दें।
◆उच्च जोखिम समूहों हेतु निर्देश
निम्न उच्च जोखिम समूह सामान्य आबादी की तुलना में हीट वेव के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं. इन समूहों के बचाव पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है–
एक वर्ष से कम आयु के शिशु तथा अन्य छोटे बच्चे, गर्भवती महिलायें, बाह्य वातावरण में (outdoor) कार्य करने वाले व्यक्ति, बीमार व्यक्ति विशेषकर हृदय रोगी अथवा उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्ति एवं ऐसे व्यक्ति जो ठंडे क्षेत्रों से गर्म क्षेत्रों में जा रहे हों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए
◆सावधानियां
ऐसे बुजुर्ग तथा बीमार व्यक्ति जो एकांतवास करते हों, के स्वास्थ्य की नियमित रूप से देखभाल तथा समीक्षा की जानी चाहिए।
घरों को ठंडा रखें दिन के समय पर्दे, खिड़कियां, दरवाजे इत्यादि बंद रखें।
रात को खिडकियाँ खोलकर रखें।
दिन के समय में अपने घर के निचले तल पर प्रवास का प्रयास करें।
शरीर के तापमान को कम रखने के लिए पंखे, गीले कपड़े इत्यादि का प्रयोग करें।
●क्या न करें---
अधिक गर्मी वाले समय में, विशेषकर दोपहर 12 से 03 बजे के मध्य सूर्य की सीधी रोशनी में जाने से बचें।
अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के प्रयोग से यथासंभव बचें तथा बासी भोजन का प्रयोग ना करें।
नंगे पैर बाहर ना निकलें ।
बच्चों तथा पालतू जानवरों को खड़ी गाडियों में न छोड़े।
गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़े न पहनें।
जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें।
अधिक गर्मी वाले समय में खाना बनाने से बचे रसोई वाले स्थान को ठण्डा करने के लिए दरवाजे तथा खिड़कियों को खोल दें।
शराब, चाय, काफी, कार्बोनेटेड साफ्ट ड्रिंक आदि के उपयोग करने से बचें, क्योंकि यह शरीर में निर्जलीकरण करते हैं।
●नियोक्ताओं तथा कर्मचारियों हेतु निर्देश।
कार्यस्थल पर शीतल पेयजल की व्यवस्था करें तथा कर्मियों को प्रत्येक 20 मिनट की अवधि पर जल का सेवन करने हेतु कहें ताकि उनके शरीर में जल की कमी न हो।कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करें।कर्मियों हेतु छायादार कार्यस्थलों का प्रबंध करें, इस हेतु कार्य स्थल पर अस्थाई शेल्टर का निर्माण किया जा सकता है।
अधिक श्रमसाध्य तथा बाह्य वातावरण में किए जाने वाले कार्यों को दिन के ठंडे समय पर किए जाने हेतु प्रबंध करें, जैसे सुबह अथवा शाम के समय। बाह्य वातावरण में किये जाने वाले कार्य हेतु विश्राम की अवधि तथा आवृति को बढ़ाएं प्रत्येक घंटे के श्रमसाध्य कार्य के उपरान्त न्यूनतम 5 मिनट का विश्राम दिया जा सकता है।
गर्भवती महिलाओं तथा पहले से बीमार व्यक्तियों को अधिक तापमान की स्थिति में कार्य करने के विषय में अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
यदि कर्मी बाह्य वातावरण में काम कर रहे हों तो हल्के रंग के कपड़ों का प्रयोग करें। उचित होगा कि पूरी बाजू की कमीज तथा पूरी लंबाई की पेंट का प्रयोग किया जाए एवं सिर को ढक कर रखा जाए ताकि सूर्य की रौशनी के सीधे प्रभाव से बचा जा सके।गर्भवती महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए।