लखनऊ :
दस दिवसीय अनुसंधान पद्धति कोर्स का हुआ समापन।।
दो टूक : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ में चल रहा था अनुसन्धान पद्धति कोर्स।
विस्तार :
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहयोग से 21 से 30 मार्च 2025 के मध्य आयोजित दस दिवसीय 'अनुसन्धान पद्धति कोर्स' का रविवार समापन हो गया । अनुसंधान पद्धति कोर्स की निदेशक व प्रबंध अध्ययन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० तरूणा ने बताया कि सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में शोध की गुणवत्ता, उपयोगिता व प्रासंगिकता को बढ़ाने के लिए आधुनिक शोध पद्धतियों सॉफ्टवेयर और तकनीकी कौशल का ज्ञान आवश्यक है । शोध के माध्यम से समाज की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझा जा सकता हैं और अनुसंधान - आधारित समाधान प्रदान करने के लिए नीतिगत सुझाव दिए जा सकते हैं । दस दिवसीय कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कोर्स की निदेशक ने बताया कि आयोजित कार्यशाला में देश के 8 राज्यों से 22 विश्वविद्यालयों के 30 शोध छात्रों तीस सत्रों ने भाग लिया । जिसमें सामाजिक विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने अनुसंधान पद्धति के विविध आयामों - अनुसंधान डिजाइन, मात्रात्मक, गुणात्मक और मिश्रित शोध प्रविधिओं, डेटा संग्रह तकनीकों, शोध प्रश्नों का निर्माण, डेटा विश्लेषण, साहित्य पुनर्निरीक्षण, शोध पत्र लेखन और प्लेजियरिज्म जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा किया । शोध की नैतिकता पर चर्चा करते हुए डॉ० तरुणा ने कहा कि किसी भी विषय पर शोध करते समय हमारे सामने कई नैतिक मुद्दे आते हैं, जिनका ध्यान हमें रखना होता है । कार्यक्रम में डीन अकेडमिक अफेयर्स प्रो० एस विक्टर बाबू बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे । प्रो० बाबू ने शोध के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शोधार्थी को न सिर्फ डिग्री के लिए बल्कि शोध की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की जरूरत है । कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० अमित सिंह ने सभी अतिथियों वक्ताओं, प्रतिभागियों व भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली का आभार व्यक्त किया ।