मऊ :
गंगा स्वच्छता पखवाड़ा के तहत गाय घाट के आस-पास छात्रों ने किया श्रमदान।।
◆तमसा सहित गंगा, यमुना,घाघरा एवं अन्य नदियों की स्वच्छता का ली शपथ।।
।।देवेन्द्र कुशवाहा।।
दो टूक : गंगा स्वच्छता पखवाड़ा देश की सबसे पवित्र और जीवनदायिनी नदी गंगा के साथ-साथ तमसा, घाघरा, यमुना आदि नदियों की स्वच्छता एवं संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह अभियान केवल नदियों की सफाई तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके जल को प्रदूषण से मुक्त रखने और समाज में पर्यावरणीय संवेदनशीलता विकसित करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। गंगा स्वच्छता पखवाड़ा के तहत संपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र एवं जैव विविधता के संरक्षण के लिए श्रमदान, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं जनजागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इसी क्रम में आज 21 मार्च को मऊ स्थित गायघाट पर जिला गंगा समिति, मऊ द्वारा गंगा स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अभियान के तहत गाय घाट और आसपास के तमसा तटीय क्षेत्रों की सफाई की गई। इस अभियान में सामाजिक वन प्रभाग, मऊ, नगर पालिका के कर्मचारी, राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) डीसीएसके पीजी कॉलेज के स्वयंसेवक एवं जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), मऊ के 250 से अधिक छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
◆स्वच्छता योद्धाओं व छात्रों ने लिया गंगा स्वच्छ संकल्प।।
कार्यक्रम का संयोजन कर रहे डॉ. हेमंत कुमार यादव, जिला परियोजना अधिकारी ने उपस्थित स्वच्छता योद्धाओं, स्वयंसेवकों एवं छात्रों को गंगा संकल्प दिलवाया। उन्होंने नदियों की सफाई एवं संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए सभी से नदी में कूड़ा-कचरा, पॉलिथीन न डालने, पूजा सामग्री एवं मूर्तियाँ विसर्जित न करने की अपील की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सामाजिक वन प्रभाग के निदेशक पी.के. पांडेय, विशिष्ट अतिथि डायट के प्रभारी प्राचार्य जावेद आलम एवं एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. विशाल जायसवाल उपस्थित रहे। इन सभी ने तमसा तट पर झाड़ू लगाकर स्वच्छता अभियान की शुरुआत की। इस अवसर पर पी.के. पांडेय ने स्वयंसेवकों एवं छात्रों से आग्रह किया कि वे नदी में स्नान के दौरान साबुन का उपयोग न करें और अन्य लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें।
स्वच्छता अभियान के दौरान सूखे और गीले कचरे को अलग किया गया, जिसमें प्लास्टिक, कपड़े एवं धातु (मेटल) कचरे को नगर पालिका के माध्यम से उचित स्थान पर निपटान किया गया। वहीं, सूखी पत्तियों एवं घास आदि को हरित खाद बनाने के लिए एकत्रित किया गया, ताकि भविष्य में इसका उपयोग जैविक खाद के रूप में किया जा सके।
इस अभियान में रवि मोहन कटियार, राम सूरत यादव, रवि प्रकाश सिंह, दिवाकर यादव सहित 250 से अधिक लोगों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।