शनिवार, 1 मार्च 2025

मऊ:रमजान का दिखा चांद, पहला रोजा कल यानी रविवार को।||Mau:The moon of Ramadan is seen, the first fast is tomorrow i.e. on Sunday.||

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मऊ:
रमजान का दिखा चांद, पहला रोजा कल यानी रविवार को।
।।देवेंद्र कुशवाहा ।।
दो टूक : रमजान-उल-मुकद्दस का चांद आज नजर आ गया, जनपद मऊ  में रविवार से रोजे शुरू हो जाएंगे।  रोजा इफ्तारी व सहरी का इंतजाम करने के लिए लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।रमजान माह मे बंदगी करने वाले हर शख्स की ख्वाहिश अल्लाह पूरी करता है।
विस्तार:
रमजान का पाक महीना रविवार से शुरू हो रहा है यह महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है, पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं पांच बक्त होने बाली नमाज के साथ साथ रात मे इशां की नमाज के वाद तराबी की नमाज अदा की जाती है जिसके चलते मस्जिदों मे रमजान के महीने मे नमाजियो की संख्या बढ़ जाती है।
चाँद दिखने के मुस्लिम समाज के लोग रोजे की सहरी और इफ्तार की तैयारियों में जुट गए  रमजान के महीने में मुस्लिम बहुल इलाकों में आमतौर पर देर रात तक चहल-पहल रहती है। 
समाजसेवी  हबीब भाई  ने कहा कि रमजान के महीने का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। रोजेदार अपना अधिकतर समय इबादत में गुजारेंगे। और देश में अमनो अमान की दुआ करेंगे। इस महीने में हर नेक काम पर सवाब बढ़ा दिया जाता है, इसलिए सभी लोग ज्यादा से ज्यादा इबादत कर अल्लाह को राजी करने की कोशिश करते हैं।
रमजान का अर्थ है जलना यानी रोजा रखने से सारे गुनाह जल जाता है।
रमजान के महीने को इबादत का महीना कहा जाता है। इस दौरान बंदगी करने वाले हर शख्स की ख्वाहिश अल्लाह पू,री करता है। रमजान का अर्थ है जलना यानी रोजा रखने से सारे गुनाह जल जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नवां महीना रमजान का होता है। इसमें सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीना रोजा रखते हैं। मुस्लिम समुदाय में रमजान को इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि इसी दौरान इस्लामिक पैगम्बर मोहम्मद साहब के सामने कुरान की पहली झलक पेश की गई थी। लिहाजा रमजान को कुरान के जश्न का भी मौका माना जाता है। रमजान एक अरेबिक शब्द है। ये अरेबिक के रमीदा और रमद शब्द से मिलकर बना है। इसका मतलब चिलचिलाती गर्मी और सूखापन होता है रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे एक महीने व्रत(रोजा) रखते हैं। इस्लाम में रोजा को फर्ध(ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करना) माना गया है। इस दौरान कुछ लोगों जैसे बीमार होना, यात्रा करने,गर्भावस्था में होने,मासिक धर्म से पीड़ित होने एवं बुजुर्ग होने पर इन्हें रोजा रखने की पाबंदी होती है। रोजे के दौरान रोजेदार पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहते हैं। हर दिन सुबह सूरज उगने से पहले थोड़ा खाना खाया जाता है। इसे सुहूर (सेहरी)कहते हैं, जबकि शाम ढलने पर रोजेदार जो खाना खाते हैं उसे इफ्तार कहते हैं। रमजान के दौरान खास दुआएं पढ़ी जाती हैं। हर दुआ का समय अलग अलग होता है। दिन की सबसे पहली नमाज को फज्र कहते हैं। जबकि रात की खास नमाज को तारावीह कहते हैं तराविह की हर सजदा पर 20000 सवाब मिलता है। रमजान के दौरान रोजेदारों को बुरी सौहबतों से दूर रहना चाहिए, उन्हें न तो झूठ बोलना चाहिए, न पीठ पीछे किसी की बुराई करनी चाहिए, और ना ही लड़ाई झगड़ा करना चाहिए। इस्लामिक पैगंबरों के मुताबिक ऐसा करने से अल्लाह की रहमत मिलती हैं। रमजान के दौरान पूरे महीने कुरान पढ़ना चाहिए। 
पैगंबरों के मुताबिक कुरान को इस्लाम के पांच स्तम्भों में से एक माना गया है।
◆ रोजे के वक्त कुरान पढ़ने से खुदा बंदों के गुनाह माफ करते हैं और उनके लिए जन्नत का दरवाजा खोलते हैं।
◆ रमजान के वक्त रोजेदारों को दरियादिली दिखानी चाहिए,
  ◆दान(जकात) देना चाहिए। इससे उन्हें सबाब(पुण्य) मिलेगा।
 ◆लोग इस दौरान मस्जिदों में मुफ्त में लोगों को खाना खिलाते हैं।
◆लोग जरूरतमंदों को जरूरी सामान भी बांटते हैं