अम्बेडकरनगर :
आईएएस अनुपम शुक्ला बने अम्बेडकर नगर के नए जिलाधिकारी।
दो टूक : उत्तर प्रदेश शासन बड़ी संख्या मे आईएएस अधिकारियों का तबादला किया और कई जनपद के जिलाधिकारी ईधर से उधर हुए। इसी क्रम में 2016 बैंच के आईएएस अनुपम शुक्ला को अम्बेडकर नगर का नए जिलाधिकारी बनाया गया है। आईएएस अनुपम शुक्ला बिहार के पटना के रहने वाले है। अनुपम शुक्ला वर्तमान में उत्तर प्रदेश गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत (यूपीएनईडीए) के निदेशक और ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग में विशेष सचिव के रूप में कार्यरत हैं इससे पहले
जौनपुर मे सीडीओ, औरैया मे सयुंक्त मजिस्ट्रेट रह चुके है।
◆नवागत जिलाधिकारी के सामने जनपद के विकास की चुनौती।
जनपद के सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार और घूसखोरी का बड़ा साम्राज्य पनप चुका है जिसकी जड़े हिलाना बड़ा मुश्किल दिखाई पड़ रहा है पूर्व जिला अधिकारी के कार्यकाल में तो भ्रष्ट और घूसखोर अधिकारी कर्मचारी हमेशा साए की तरह उनके आगे पीछे लगे रहते थे और जिले की चौपट विकास योजनाओं पर पूर्व जिला अधिकारी को लगातार गुमराह करते रहे जिससे जिले का धरातल पर विकास बाधित हुआ और इसी बाधित विकास के चलते भाजपा को कौशाम्बी से करारी हार का सामना करना पड़ा भ्रष्ट और घूंसखोर अधिकारी कर्मचारी से नवागत जिला अधिकारी कैसे निपटेगे यह बड़ा सवाल खड़ा हैजिले में कई ऐसे अधिकारी कर्मचारी हैं जिन्होंने कई करोड़ की अवैध वसूली की है और फिर भी वह पूर्व जिला अधिकारी के कार्यकाल में उनके खासमखास बने रहे प्रत्येक कार्यक्रमों में पूर्व जिलाधिकारी के आगे पीछे देखे जाते थे जिससे आम जनता जिलाधिकारी से अपनी बात बेबाक तरीके से नहीं कह पाती थी जिसका नतीजा यह रहा कि जिले में भ्रष्टाचार और घूंसखोरी तेजी से फैलता रहा आम जनता परेशान होती रही ।योजनाओं में कमीशन खोरी की पहली श्रेणी में लोक निर्माण विभाग,आर ई एस, पंचायत राज विभाग,खनन विभाग,मनरेगा योजना, स्वास्थ्य विभाग,शिक्षा विभाग आदि विभागों में भ्रष्टाचार की जड़े बड़ी गहरी हो गई हैं इन कार्यालयों में तो प्रत्येक कार्यों में बड़ी कमीशन खोरी हो रही है घूसखोरी और कमीशन में लिप्त अधिकारियों कर्मचारियों की मजबूत जड़ को हिलाना बड़ा मुश्किल लगता है इन विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार शासन-प्रशासन को हर तरह से गुमराह कर अपने उद्देश्य की पूर्ति की जाती है।और अपने उद्देश्य में सफल होते दिख रहे हैं जिससे लगातार भाजपा की किरकिरी हो रही है नतीजा यह है कि विकास योजनाएं जमीनी हकीकत पर नहीं उतर पाती आम जनता गरीब कमजोर मजलूम परेशान है जांच के नाम पर केवल लीपा-पोती होती है सरकारी जमीन तालाब शत्रु संपत्ति में कब्जा करवाने के बाद राजस्व कर्मी वसूली में लिप्त है राजस्व कर्मी भी करोड़ो में खेलते है जिले में आधे से अधिक सरकारी जमीनों पर पूर्व से कब्जे हैं वह कैसे खाली होंगे।जिले में बढ़ते भ्रष्टाचार का आलम यह है कि नगर पंचायत नगर पालिका में 40 प्रतिशत तक कमीशन खोरी पहुंच चुका है विकास भवन के कई कार्यालय में भी 30 प्रतिशत तक घूसखोरी पहुंच चुकी है ग्राम पंचायत की हालत तो बद से बदतर है बिना कार्य कराए फर्जी बिल वाउचर से भुगतान कराए जा रहे है जिला पंचायत राज अधिकारी मूकदर्शक बने हैं शिकायतों के बाद जांच कराई जाती है जांच में गबन उजागर होता है नोटिस और धमकी तक पूरी कार्यवाही सीमित रह जाती है।पंचायत सचिव और प्रधान निलम्बित नही होते हैं जांच में आरोप की पुष्टि होती है लेकिन दर्जनों आरोपी पंचायत सचिव से वर्षो बाद भी सरकारी रकम की रिकवरी नहीं हुई उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है जिससे जिला पंचायत राज अधिकारी और जिला विकास अधिकारी की भूमिका भी सवालों में है खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय और मनरेगा में तो 50 प्रतिशत तक घूसखोरी पहुँच चुकी है सरकारी कार्यालय में कर्मचारियों अधिकारियों की उपस्थित की स्थिति भी बेहद खराब है कलेक्ट्रेट कार्यालय में भी इस तरह के कई कर्मचारी हैं जो हमेशा घूसखोरी के लिए विवादों से घिरे रहे हैं।वह तो अफसर से भी गलत सही काम कराने का ठेका लेकर आम जनता से वसूली करने में माहिर माने जाते हैं लेकिन उनकी शिकायतें जिलाधिकारी तक ना पहुंच सके इसलिए वह हमेशा जिला अधिकारी के आगे पीछे साए की तरह मंडराते रहते हैं भ्रष्ट और घूसखोरों के बड़े साम्राज्य के बीच नए जिला अधिकारी के सामने बड़ी चुनौती है वह इसे स्वीकार कर भ्रष्टाचार की जड़े हिलाने में कितना सफल होते है वह इससे कैसे निपटने में सक्षम होंगे कैसी रणनीति बनाएंगे जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त घूंसखोर अधिकारियों और कर्मचारियों के चेहरे की हकीकत जिला अधिकारी के सामने तक पहुंच सके और जिले में भ्रष्टाचार की जड़े कमजोर हो आम जनता खुशहाल हो योगी सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का सपना पूरा हो सके।