अम्बेडकरनगर
सूरज ढलते खुलेआम पीने- पिलाने का शुरु होता है दौर,आम लोग परेशान।।
।।ए के चतुर्वेदी।।
दो टूक : प्रदेश सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत अंग्रेजी व बीयर की बिक्री एक ही दुकान से कराने का फैसला लिया था। इन दुकानों को कंपोजिट वाइन शॉप नाम दिया गया है। इसे लेकर जिले में संचालित बीयर की व अंग्रेजी शराब की दुकानें एक कर दी गईं हैं। बीयर-अंग्रेजी शराब का कोटा भी पांच से 10 फीसदी तक बढ़ाया गया है।इस तरह से अंग्रेजी व बीयर की कुल 81 दुकानें अब कंपोजिट कर दी गई हैं। इन दोनों दुकानों पर सिर्फ शराब की खरीद की जा सकती है। यहां पर पीने की पाबंदी होगी। जिले में एक भी मॉडल शॉप व बीयर बार का लाइसेंस नहीं है। नतीजतन लोगों को शराब या बीयर खरीदने के बाद उसे घर जाकर पीना पड़ेगा।लोकेशन तथा विभाग के नियमों को ताक पर रखकर इन दिनों शराब के ठेके संचालित किए जा रहे हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार का मानना है कि इससे राजस्व में इजाफा होगा।वहीं, जिले में इसके विपरीत परिणाम सामने आने के संकेत हैं। जिन लोगों के यहां शराब पीने की पाबंदी होने से उन्हें जाम टकराने के लिए होटल, ढाबा या अन्य विकल्प को तलाश करना मजबूरी हो गया है।होटल ढाबा पर पीने वालों के लिए पुलिस खतरा बनेगी। पुलिस अक्सर चेकिंग अभियान चलाती रहती है। होटल, ढाबा संचालकों को पुलिस की तरफ से शराब पीने की पाबंदी का नोटिस दिया जाता है। परंतु जनपद में इस प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं दिखाई दे रही है सभी स्थानों पर यह देखा जा सकता है लगभग 100 मीटर के दायरे में खुलेआम पूरी व्यवस्था उपलब्ध है।वैसे तो शराब व बीयर की दुकानों पर बैठकर पीने-पिलाने पर पाबंदी है। बावजूद शहर से लेकर गांव तक शराब की दुकानें बार बनी हुई हैं। शहर में इसकी वजह से दुकान की तरफ से गुजरने वाली महिलाओं और युवतियों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।पुलिस को ऐसे ठिकानों का पता भी है, पर कार्रवाई से वह हिचकती हैं। दुकान संचालकों की मनमानी का आलम यह है, कि वह दुकानों पर बिक्री तो करते ही हैं साथ ही शौकीनों को लुभाने के लिए उनके लिए तमाम सारी सुविधाएं भी उपलब्ध कराते हैं।नियम के मुताबिक किसी भी दुकान पर चखना की दुकान खोलने का अधिकार नहीं है। साथ ही दुकानों पर शराब पिलाने पर भी प्रतिबंध है। प्रतिबंध के बाद भी उनकी दुकानों पर खाने-पीने के सारे इंतजाम और सुरक्षित स्थान भी मुहैया कराया जाता है।कई दुकानदारों ने तो स्वयं अपनी दुकान चलाने के लिए खुद के रेस्टोरेंट तक खुलवा रखे हैं, जहां बिना लाइसेंस के शराब के शौकीन जाम छलकाते हैं। अनाधिकृत रूप से खराब दुकानों पर लगने वाले जमावड़े को दूर करने के लिए कई बार चेकिंग भी होती हैं, लेकिन चेकिंग शुरू होने से पहले ही सूचना पहुंच जाने का चलन खामियों पर पर्दा डालने के लिए भारी होता है।जनपद में आबकारी विभाग की ओर से निर्धारित की गई लोकेशन तथा विभाग के नियमों को ताक पर रखकर इन दिनों शराब के ठेके संचालित किए जा रहे हैं। अनुज्ञाधारी अपनी मनमर्जी के मुताबिक दुकानों का निर्माण करा दिया। आबकारी विभाग की ओर से तय नियमों की अवहेलना कर मौके पर विपरीत स्थितियों में दुकानें बनी हुई है।वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारियों की मौन स्वीकृति होने के कारण ही कोई कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों की ओर से जानबूझकर इस कार्रवाई को टाल दिया जाता है, इससे आज दिन तक एक भी शराब के ठेके के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस संदर्भ में जनपद के आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से वार्ता करने का प्रयास किया गया परंतु फोन रिसीव नहीं हुआ।